तकरीबन दस मिनट भाभी के साथ सेक्स करने के बाद मैंने पोजीशन बदली. मैंने उन्हें सामने वाली सीट पर हाथ टिका कर घोड़ी बनने का कहा. वो घोड़ी बन गईं. मैंने पीछे से भाभी की चुत में लंड डाल दिया.
आह … मस्त सरसराता हुआ मेरा लंड चुत में घुस गया. क्या बताऊं दोस्तों पीछे से भाभी की चुदाई करने में मुझे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि लिख ही नहीं सकता. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी कुंवारी लड़की को चोद रहा हूँ. इतनी टाइट चुत थी कि बस मजा आ गया.
भाभी आह आह कर रही थीं और मैं गचागच गचागच उनकी चुत चोदे जा रहा था.
दस मिनट तक चुदाई का खेल चलता रहा. भाभी दो बार झड़ चुकी थीं.
फिर मैं स्खलित होने वाला था. मैंने उनसे पूछा- माल कहां लोगी?
तो उन्होंने कहा- मेरे अन्दर ही गिरा दो … आह … न जाने कब से मेरी चुत सूखी पड़ी है. आह मेरे राजा … मेरे अन्दर ही रस गिरा दो.
मैंने भाभी की चुचियों को पकड़ा और कस कस कर दबाते हुए पीछे से चुदाई की अपनी स्पीड बढ़ा दी. तगड़े तगड़े दस बारह धक्के लगाने के बाद मैंने अपना सारा माल भाभी की चुत में ही छोड़ दिया.
हम दोनों बेहद थक चुके थे. भाभी सीट से लग कर बैठ गई थीं और मैं उनके ऊपर ही ढेर हो गया था. हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे से चिपके हुए अपनी सांसें नियंत्रित कर रहे थे.
थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मैंने भाभी को अपनी गोद में बिठा लिया.
अब मेरी नजर भाभी की गांड पर टिकी हुई थी. मैंने भाभी के दूध सहलाने शुरू कर दिए थे और वो भी मेरे साथ मस्ती करने लगी थीं.
आधे घंटे बाद गाड़ी किसी स्टेशन पर रुकी, तो हम दोनों एक एक चाय पीकर फ्रेश हो गए.
थोड़ी देर बाद मैं फिर से भाभी की चुचियों को सहलाने लगा और चुंबन करने लगा. तकरीबन 10 मिनट चुंबन करने के बाद और भाभी के होंठों का रस पीने के बाद से मैंने फिर से उनकी चुत में उंगली घुसा दी.
भाभी फिर से गर्म होने लगीं और मादक सिसकारियां लेने लगीं. वो भी कहां पीछे रहने वाली थीं. वह भी मेरे लंड को हाथ से ऊपर नीचे करने लगीं. कभी मुँह में लेकर … कभी हाथ से ऊपर नीचे करके मस्त हो रही थीं.
थोड़ी देर में जब मेरा लंड तन कर कुतुबमीनार बन गया, तो मैंने उनसे कहा कि अब आपकी गांड की बारी है … घोड़ी बन जाओ.
भाभी कहने लगीं- नहीं … मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई है … बहुत दर्द होगा.
मैंने कहा- भाभी थोड़ा दर्द होगा … झेल लेना. … बाद में बहुत मजा आएगा.
वो कुछ देर बाद मान गईं ओर घोड़ी बन गईं.
मैंने अपने बैग से क्रीम निकाल कर भाभी की गांड में लगायी और उंगली डाल कर गांड का छेद ढीला किया.
भाभी समझ गईं कि आज गांड का फीता कटने में मजा आएगा. उनको मेरी उंगली से क्रीम लगवाने में मजा आ रहा था.
मैंने भी भाभी को घोड़ी की पोजीशन में खड़ा किया हुआ था. मैंने पहले अपना लंड उनकी चुत में डाला. उनकी चुत सूज चुकी थी, जिसके कारण चुत जल्दी जल्दी पानी छोड़ रही थी. चुत के पानी से मेरा लंड काफी गीला हो गया.
फिर मैंने भाभी की गांड पर थूक लगाया और लंड के सुपारे से भाभी की गांड पर दबाव बनाने लगा.
अभी लंड का सुपारा ही गांड के अन्दर अन्दर गया था कि भाभी जोर से चीख पड़ीं. मैंने एक हाथ से उनके मुँह को दबाया और दूसरे हाथ से उनकी कमर को कसकर पकड़ लिया. फिर मैंने एक करारा धक्का लगा दिया. मेरा आधा लंड उनकी गांड में समा गया. भाभी की गांड फट गई थी.
उनके दर्द के चलते मैं दो मिनट के लिए रुका, उसके बाद धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
थोड़ी देर बाद भाभी भी मेरा साथ देने लगीं. अब गांड चुदाई की मस्ती आने लगी थी. मैं भाभी की चुत में भी उंगली कर रहा था.
इसी तरह तकरीबन 20-25 मिनट तक गांड चुदाई के बाद मेरा पानी निकल गया और मैं उनके ऊपर ही निढाल हो गया.
अब तक सुबह के 4 बज चुके थे. हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक किए और आमने-सामने बैठे कर आपस में बातें करने लगे. हमारे गंतव्य आने वाले थे.
ट्रेन छोड़ने से पहले भाभी ने मुझसे मेरा नम्बर मांगा और जल्द ही चुदाई का मजा देने का वायदा किया. मैं भाभी से अपने नम्बर साझा करके बहुत खुश था.
अब मुझे उनके फोन का इन्तजार है.
दोस्तो, ये मेरा अपनी आपबीती लिखने का पहला प्रयास है. इसलिए हो सकता है कि आपको कहीं चूक दिखे, आप लोग ट्रेन में चुदाई की कहानी पर अपने विचार मुझे ईमेल कर सकते हैं.
धन्यवाद.
आपका मित्र प्रेम संजू आनन्द
baba99sanju94@gmail.com