है कि कैसे मैंने अपने दोस्त की माँ को चोदा!

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इस हिंदी चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने दोस्त की माँ को चोदा. जब पहली बार दोस्त के घर में मैंने उसकी अम्मी को देखा तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.

हैलो फ्रेंड्स, कैसे हैं. मस्त चूत वाली लड़कियों, प्यारी भाभियों और सेक्सी आंटियों को मेरे खड़े लंड का नमस्कार.

मेरा नाम आशीष है और में 25 साल का हूँ और दिखने में स्मार्ट हूँ. मैं इंदौर का रहने वाला हूँ.

मेरी हिंदी चुदाई कहानी मेरे और मेरे दोस्त की मॉम के बीच बने सेक्स संबंध की है कि कैसे मैंने अपने दोस्त की माँ को चोदा.

ये बात करीब 8 महीने पहले की है. मेरी कॉलोनी में क्रिकेट का ग्राउंड है, जहां बहुत से बच्चे क्रिकेट खेलते हैं. मैं भी उधर क्रिकेट खेलता था. इसी खेल खेल में मेरी एक लड़के से अच्छी दोस्ती हो गयी. उसका नाम इमरान (बदला हुआ नाम) है.

उसने मुझे बहुत बार अपने घर बुलाया कि आप आओ. हम लोग मेरी छत पर खेलेंगे.
उसके बहुत बार बोलने पर मैं उसके घर चला गया.

जब मैं उसके घर पहुंचा, तो उसने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर बुलाया.

मैं अन्दर चला गया. उसने अपनी अम्मी को आवाज लगाई. जब उसकी अम्मी बाहर आईं … तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.

क्या माल थीं यार वो … उनकी उम्र करीब 42 के आस पास होगी, पर चेहरे पर चमक एकदम 30-32 की उम्र की भाभी जैसी थी. उनका नाम तब्बसुम (बदला हुआ नाम) था. आंटी का फिगर 36-32-40 का था, जो मुझे बाद में उनकी चुदाई के वक्त पता चला था.

वो आकर मेरे सामने ही बैठी थीं. मैं चोर नजरों से उनको देख रहा था. शायद ये उन्होंने देख लिया था, पर कहा कुछ नहीं.

इमरान के पापा बैंक में जॉब करते थे. वो दिन भर घर पर नहीं रहते थे.

फिर मैं थोड़ी देर बातें करके इमरान के साथ छत पर खेलने चला गया. पर खेलने में मेरा मन नहीं लग रहा था. मैं बस चाची के ख्यालों में खो गया था.

एक घंटे बाद मैं अपने घर चला गया, पर चाची का ख्याल मैं अपने दिल और दिमाग से निकाल ही नहीं पा रहा था. मेरा लंड बैठ ही नहीं था.
फिर मैंने अपने रूम में जाकर चाची के नाम की मुठ मारी, तब कहीं आराम आया.

फिर मैं रोज उसके घर जाने लगा और जब भी मैं चाची के सामने या आसपास होता … तो उनको घूरता रहता था.
शायद वो भी समझ रही थी कि मैं उन्हें क्यों घूरता रहता हूँ. पर वो कुछ बोल नहीं रही थीं.

मेरी भी इच्छाएं बढ़ती ही जा रही थीं. मैं हमेशा उनके पास रहने की कोशिश करता रहता था … कभी कभी उनको छूने की भी कोशिश करता था. पर इस तरह से कि उनको लगे कि ये सब गलती से हो गया … पर वो सब समझ रही थीं.

एक दिन मैं इमरान के घर गया और हम दोनों अभी क्रिकेट खेलने की तैयारी ही कर रहे थे कि उसको किसी का फ़ोन आ गया.
वो मुझसे बोला- मैं थोड़ी देर में आता हूँ तुम नीचे रुको.
मैंने भी कहा- ठीक है.
वो चला गया.

मैं भी उसके रूम में चला गया और लैपटॉप चलाने लगा. उस के लैपटॉप में कई ब्लू फ़िल्में थीं मैं एक फिल्म को वॉल्यूम बंद करके देखने लगा. मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया था और लोअर में से अलग से ही दिख रहा था.

फिर मैं चाची को देखने के लिये बाहर गया, तो वो किचन में कुछ काम कर रही थीं. उन्होंने आज एकदम फिट लैगी और कुर्ती पहन रखी थी.
लैगी में उनकी जांघें देख कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया, जो शायद चाची ने देख लिया था.

आज ऐसा पहली बार हुआ था कि चाची के साथ मैं अकेला था. मैं उनको देखे जा रहा था.

उन्होंने मुझसे कहा- आशीष, जैसे तुम मुझे घूरते रहते हो, वैसे तुमको नहीं देखना चाहिए.
मैंने बेख़ौफ़ कहा- चाची, आप इतनी सुन्दर हैं कि आपको तो कोई भी देखना चाहेगा. मैं चाहे कितनी भी कोशिश कर लूं … मैं आपको देखने से अपने आपको रोक ही नहीं पाता हूँ.
फिर उन्होंने कहा- हां मुझे पता है इस उम्र में ऐसा होता है, पर फिर भी तुम्हें अपने आप पर कण्ट्रोल करना चाहिए … क्योंकि ये सब गलत है.

चाची की बात सुनकर मैं थोड़ा उदास हो गया.

उन्होंने मुझसे कहा- तुम बाहर हॉल में जाओ, मैं चाय बना कर लाती हूँ.
मैं चला गया.

वो थोड़ी देर में चाय लेकर आईं … जब चाची चाय देने के लिये झुकी … तो मुझे उनके मम्मों की घाटी के अच्छे से दर्शन हो गए.

मैंने सोचा कि थोड़ा चांस तो लेना पड़ेगा … नहीं तो हाथ कुछ नहीं लगेगा.

चाची अपनी चाय लेकर मेरे सामने बैठ गईं और पूछने लगीं- तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है क्या?
मैंने कहा- नहीं है.
उन्होंने कहा- क्यों?
मैंने हंस कर कहा- मुझे आप जैसी कोई मिली ही नहीं.
वो भी हंस दीं और बोलीं- चल हट बदमाश … मसखरी करता है.
मैंने आह भरते हुए कहा- चाची सच मैं आप बहुत सुन्दर हो … अगर मैं आपका पति होता!

इतना बोलने के बाद मैं रुक गया.

उन्होंने पूछा- पूरा बोल न … यदि तू मेरा पति होता तो क्या?
मैंने कहा- कुछ नहीं … बस …

तो वो बोलीं- क्या सच में मैं तुझे इतनी पसंद हूँ?
मैंने कहा- हां चाची … सच में आप मुझे बहुत सुन्दर लगती हो.
उन्होंने लम्बी सांस भरते हुए कहा- आह … एक तू ही है … जिसे मैं इतनी सुन्दर लगती हूँ … एक मेरे शौहर हैं, जो मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं.

मैंने पूछा- क्यों?
तो वो बोलीं- पता नहीं … लगता है जैसे अब उन्हें मुझमें कोई इंटरेस्ट ही नहीं है.
मैंने कहा- अगर आप मेरी वाइफ होतीं … तो मैं आपको …

मैं फिर बोलते बोलते रुक गया.
उन्होंने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा- रुक क्यों जाता है … पूरा बोल ना … क्या बोलना चाहता है?
मैंने कहा- आप बुरा मान जाओगी.
उन्होंने कहा- बोल ले … नहीं मानूंगी बुरा.

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