मैं बोला- प्लीज … छोड़ दो मुझे, मेरी गांड फट जायेगी. मैंने आज तक ये सब नहीं किया है.
वो बोला- फिर तो तेरी नाथ उतारने में और ज्यादा मजा आयेगा. तेरी सील मेरे ही लौड़े से टूटेगी. आज तेरी कुंवारी गांड को चोद कर मैं ही इसका उद्घाटन करूंगा.
उसने अपने लंड के सुपारे पर थूका और मेरी गांड में मोटा सुपारा घुसाने लगा. मगर मैंने अपनी गांड को जोर से भींच लिया ताकि उसका लंड अंदर न जा सके.
इससे वो और खीझ गया. वो मेरे चूतड़ों पर जोर जोर से थप्पड़ मारने लगा. थप्पड़ मारते हुए बोला- गांड ढीली कर कुतिया.
मैं उसका लंड लेने के लिए तैयार नहीं था और वो मेरी देसी गांड लेने पर उतारू था. पीछे नहीं हट रहा था. पूरा असली मर्द था वो.
वो बोला- साले तेरे जैसी बहुत सी कुतिया चोद चुका हूं. तू खामख्वाह नखरे कर रही है.
फिर उसने अपने बड़े बड़े भारी हाथों से मेरे कंधों को पकड़ लिया.
इससे पहले मैं कुछ समझ पाता, उसने मेरे कंधों को नीचे धकेला और नीचे से मेरी गांड पर लंड का दबाव बनाते हुए मेरी गांड में लंड को धकेलने लगा. उसका जोर इतना ताकत वाला था कि मेरी गांड में उसका आधा सुपारा धंस चुका था. मेरी गांड फट गयी और जबरदस्त जलन होने लगी.
उसने मौके की नजाकत को देखा और मुझे ऊपर उठा कर मेरे होंठों पर अपने होंठ कस दिये ताकि मैं चिल्ला न सकूं. मेरा शरीर कांपने लगा था मगर उसके गर्म होंठों को छूकर कुछ राहत मिल रही थी.
फिर उसने जोर से धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरी गांड में फंस गया. ऐसा लगा कि किसी ने मेरी संकरी सी देसी गांड में लकड़ी लट्ठ ठूंस दिया हो. दर्द इतना तेज था कि चाकू की तरह कटने वाली जलन हो रही थी.
वो लंड को मेरी गांड में फंसा कर रुक गया. फिर मेरे गालों को भींचते हुए अपने लंड को धीरे धीरे मेरी गांड में आगे पीछे चलाने लगा. फिर उसने धीरे धीरे रफ्तार पकड़ ली. मेरी गांड दर्द में कराह रही थी और उसके लंड का घर्षण अब साथ ही साथ थोड़ा आनंद भी दे रहा था. मैंने नहीं सोचा था कि कभी मैं गांड में लंड भी लूंगा और मुझे मजा भी आयेगा.
वो मुझे तेज तेज चोदने लगा. कुछ देर बाद उसका लंड और मेरी गांड दोनों ही चिकने हो चुके थे. अब उसका लंड और खुलकर मेरी गांड को पेलने लगा था.
कुछ देर के बाद उसने गहरे और तेज धक्के लगाने शुरू कर दिये. उसका लौड़ा मेरे पेट तक ठुकने लगा. पच-पच … फच … फच … यही आवाज पूरे फ्लैट में गूंज उठी.
उसने फिर लम्बी लम्बी सांसें लेनी शुरू कर दीं. उसने अपना लौड़ा इतनी ताकत से अंदर घुसाते हुए धक्का दिया कि उसका लंड मेरी गांड से घुस कर मेरे हलक से निकल आयेगा. उसका लौड़ा मेरी गांड में अंदर तक जा फंसा और अगले ही पल उसके लंड में हल्के झटके लगते हुए मुझे महसूस हुआ कि मेरी जलती हुई गांड में कुछ गर्म गर्म गिर रहा है.
उस बाऊंसर का मूसल लौड़ा मेरी गांड में झड़ रहा था और गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी मार रहा था. उसकी आँखें बंद हो चुकी थीं और वो वीर्य छूटने के परम आनंद को महसूस कर रहा था. उसने मुझे अपनी छाती से चिपका लिया था.
वो बोला- यार … ये मेरी जिन्दगी की सबसे बेस्ट चुदाई हुई है आज. इतना मजा तो मुझे तेरी भाभी की चूत सुहागरात वाले दिन भी मारने में नहीं आया था जितना तेरी गांड चोदने में मिल गया.
उसके बाद वो उठा और अपने सो चुके लंड को उसने फ्रेंची में ठूंसा और पैंट पहन कर निकल गया. मेरी देसी गांड इतना दर्द कर रही थी कि मैं चलने लायक नहीं रहा. फिर शाम तक जैसे तैसे दर्द कम किया ताकि घर वालों को मेरी गांड चुदने के बारे में शक न हो.
कुछ दिन तक मैं उस बार के सामने से नहीं गया. उस दिन वाली गांड चुदाई का दर्द मेरे सीने में बैठ गया था. मगर पता नहीं क्यों फिर मेरा मन उसको देखने के लिए करने लगा. एक दो बार मैं वहां से गुजरा लेकिन वो मुझे दिखा नहीं. पता नहीं कहां चला गया था वो.
ये थी मेरी देसी गांड की कहानी दोस्तो, आपको अच्छी लगी या नहीं? मुझे कमेंट्स और मैसेज में बतायें. जल्दी ही दूसरी कहानियां भी लेकर आऊंगा.
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