“नरपिशाच” हाँ वो “नरपिशाच”ही था.
और राधा बुआ और उन की बेटी राखी उस के गुलाम पिशाचनी.
तीनो निर्वस्त थे आखे अंगारो जेसी दाहक रही थी उस का लौंडा 9″ लम्बा और 3″ मोटा था. दुनिया की नजरों में वो राधा बुआ का ५० साल का काला कलूटा देहाती गवार नौकर गोपाल था मगर सच तो यही था वो उन का मालिक था. एक शराब की खाली बोतल और एक भरी हुई बोतल टेबल पर रखी थी तीन गिलास और खाने की प्लेट रखी थी राधा बुआ और राखी कुतिया की तरह ज़मीन पर बैठी थी और गोपाल कुर्सी पर बैठा था. उस का काला लौंडा मीनार की तरह सीधा खड़ा था सुपडा अंगारे की तरह दाहक रहा था.जमीन पर चिकन के कुछ टुकड़े पड़े थे जिन को राधा बुआ और राखी जैसे कुतिया खाती हे बेसे ही खा रही थी.
तभी जोर से बिजली कड़की और डर के मारे मेरी चीख निकल गई एक पल के लिए गोपाल की नज़रे मेरी नज़रों से मिली. डर के मारे में काँप उठी एक पल को लगा मानो लकवा मार गया हो दूसरे ही पल बारिस और ठण्ड की फिकर छोड़ में घर की ओर दौड़ पड़ी.
मेने यह भी न सोचा के कोई देखता तो उसे सफ़ेद भीगे कुर्ते में मेरी ३२ साइज की चूचिया साफ़ नज़र आ जाती.जैसे तैसे में घर पहुंचे अच्छा था माँ पापा सो गए थे में सीधा अपने कमरे में पहुंची और सारे कपडे निकाल कर रजाई में घुस गई. ठंड के मारे मेरी कुल्फ़ी जमी हुई थी थोड़ी देर बाद जब ठंड कम हुए तो राधा बुआ के यहां की घटना याद आई.
राधा बुआ दिन भर पूजा पाठ करने वाली ४५ साल की विधवा औरत शहर की सब से सम्मानित शिक्षक और उन की बेटी राखी २२ साल की मेरी उम्र की बैंक में जॉब करने वाली संस्कारी माँ की संस्कारी लड़की मोहल्ले की सब से शरीफ संस्कारी पड़ी लिखी फॅमिली.प्याज लहसुन भी न खाने बाला जैन परिवार.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था में क्या करूँ न चाहते हुए भी बार बार मेरा धयान में गोपाल का काला लौंडा आ रहा था.वो लोग कितने गंदे तरीके से चुदाई कर रहे थे ऐसी चुदाई तो मैने कभी किसी प्रोन मूवी में भी नही देखी थी. सोचते सोचते मेरी सील पैक चुत पूरी गीली हो गई.मेरा हाथ न चाहते हुए भी चुत पर पहुँच गया. चुत को सहलाते सहलाते मेरी आँखे बंद होने लगी.
में शुरू से सब याद करनी लगी
क्या हुआ था दो घंटे पहले?
रात के दस बज रहे थे सब लोगो ने डिनर कर लिया था मम्मी पापा अपने रूम में चले गए थे. शाम से ही तेज़ बारिश हो रही थी. में भी अपने रूम की तरफ जाने लगी तभी मुझे याद आया की डोर तो लॉक किया ही नहीं में सुबह जोकिंग को जाती हु तो मेन डोर की चाबी मेरे पास ही रहती है जो में अपने रूम में टेबल पर रहती हू.
में रूम में पहुँची तो देखा चाबी टेबल पर नही हे मेने पूरा रूम देख लिया मगर चाबी नही मिली में परेशान हो गई तभी मुझ को याद आया की में दोपहर को राधा बुआ के घर गई थी डोर लॉक कर के और मेने चाबी उन के फ्रिज के ऊपर रख दी थी.ओहो अब क्या करूँ बिना डोर लॉक कर के भी नहीं सोया जा सकता.खिड़की से देखा तो बारिस कम हो गई थी राधा बुआ का घर ज्यादा दूर नहीं है हमारे घर से सो मैने सोचा के जल्दी से जाती हु और चाबी लेकर दो मिनिट में बापस आती हु.में जल्दी जल्दी चलती रात को दस बजे उन के घर पहुँच गई. उन का घर काफी बड़ा था पहले २० फिट का गार्डन था फिर घर था गार्डन में पहुंची तो फिर से तेज़ बारिस शुरू हो गई में दौड़ कर दरवाजे पर पहुंची और साँस लेने लगी. गार्डन के कोने में राधा बुआ का नौकर गोपाल का कमरा था गोपाल राधे बुआ का काफी पुराना नौकर था लेकिन जाने को मुझे पसंद नहीं था वो बहुत ही गन्दा लगता था वो शराब पीता था और दिनभर बीड़ी पीता था जिस से उस में से एक अजीब बदबू आती थी उसके पीले पीले गंदे दांत थे इतना काला रंग की काजल भी शर्मा जाए रात को देख लो तो डर जाओ.और राधा बुआ ४५ साल में भी इतना सिलिम जैसे मदुरि दीक्षित और उन की लड़की राखी २२ साल की कमसिन जवान बिलकुल आलिया जैसी लगती हे.
में दरवाजे की तरफ बड़ी के तभी मुझे किसी औरत की चीख की आवाज सुनाई दी. में रुक गई तोडा डर भी लगा फिर लगा सायद राधा बुआ मूवी देख रही हो क्यों की कल संडे था ऑफिस की छुट्टी थी. तभी चीख की आवाज फिर आई वो आवाज गोपाल के रूम की तरफ से आ रही थी. में डर गई सोचा पुलिस को कॉल करो
लेकिन में मोबाईल लेकर हे नहीं आई थी क्यों की मुझे तो चाबी लेकर दो मिनिट में लौटना था. मुझे क्या पता था के यहाँ कुछ गड़बड़ होगी. अब मुझको राधा बुआ और राखी की फ़िक्र होने लगी मेंने डर पर काबू पाया और पेड़ो के बीच से छुपते छुपते गोपाल के कमरे की और बड़ी. पास पहुंची तो मेंने देखा कमरे का दरवाजा बंद था लेकिन पीछे वाली खिड़की से रोशनी आ रही थी. अब आवाजें और बढ़ गई थी साफ़ पता चल रहा था के कम से कम दो औरतों को कोई मार रहा हे मेरा दम निकला जा रहा था. लेकिन राधा बुआ और राखी के फिकर भी हो रही थी में खिड़की के पास पहुची देखा. रूम में काफी रोशनी थी पर जैसे ही मेने रूम के दूसरी तरफ़ देखा.
ओहो ओहो हे भगवान यह क्या हो रहा हे मुझे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था.
मंज़र ही कुछ ऐसा था.
राधा बुआ और उन की बेटी राखी दोनों नंगे खड़े थे और उन का नौकर गोपल चप्पल लिए खड़ा था.
वो भी नंगा था उस के हाथ में चप्पल थी और वो चप्पल से उन दोनों को मार रहा था.
चटाक चटाक उन दोनों के चूतड़ और पीठ पिटाई से पूरी लाल हो चुकी थी ऐसा लग रहा था खून निकल जाए गा वो दोनों जोर जोर से चीख रही थी.
कह रही थी मालिक और जो से मरो हा मैरे मालिक मारो हम गुलामों को मरो अपनी रंडियो को.
उफ़ यह सब देख कर मेरा तो दिमाग ही घूम गया गोपाल का सांप जैसा काला मोटा लोढा देक कर गला सूख गया .दिमाग कुंद हो गया सांसे ढोकनि के तरह तेज़ चलने लगी एक पल लगा के भाग जाऊ लेकिन कदमो ने साथ देने से इंकार कर दिया वासना का ऐसा घिनौना नाच मेने पहले कभी नहीं देखा था और गोपाल का काला साप जैसा गन्दा लोडा देख कर मेरी कुँवारी चुत गीली हो गई.
गोपाल कह रहा था मादरचोद रंडियो अपने मालिक को अपनी चूत और गांड खोल कर दिखाओ कुतिया बन जाओ और पुरे चूतड़ फैला दो
राधा बुआ- हां मालिक हम आप के लिए कुतिया बन रहे हे, बेटा राखी मालिक का हुकम मनो कुतिया बन कर अपने चूतड़ फैला दो, पूरा खोल दो अपनी गांड और चूत का छेद मालिक के सामने.
राखी- जो आज्ञा माते आप न भी कहती तो भी में कुतिया बनती क्यों की गोपाल जी मैरे भी मालिक हे और में भी गोपाल की गुलाम रंडी हु और यही तो मरे पिता हे इन्होने ही तो आप को चोद कर मुझे पैदा किया हे.
दोनो कुतिया बन जाती हे और अपनी गांड ऊपर को उठा कर गोपाल के सामने चूतड़ फैला देती हे.
गोपाल- वह वह क्या मस्त गांड हे तुम माँ बेटियों की राधा २५ साल से गांड मरते मरते और ४५ साल से टट्टी करते करते तेरी गांड का छेद कला होने लगा हे. लेकिन मेरी गुलाम राखी राँड़ का छेड़ा कितना मस्त गुलाबी गुलाबी हे और फैलाओ मेरी रंडियो मुझे पूरा अंदर तक देकना हे.
दोनों माँ बेटी और जोर लगती हे तभी पुऊर पू पुऊर पोऊ राधा बुआ का पाद निकल जाता हे.
गोपाल- हुऊ आएहआ वह मेरी राधा रंडी क्या मस्त खुसबू हे तेरे पाद की मज़ा आ गया मेरी जान और वो जोर जोर से सांसे ले ले कर राधा बुआ के पाद को सुघने लगा.
यह सब देख कर मेरी हालत ख़राब होने लगी मेने अपनी लाइफ में दो चार वार ब्लू फिलिम देखि थी रियल सेक्स तो कभी नही देखा था लण्ड देखे थे लेकिन गोपाल के जैसा भयानक ९” का कला कला और खून जैसे लाल सुपडे बाला लण्ड नहीं देखा था आज इतना ख़तरनाक और गन्दा लाइव सेक्स देख कर मुझे नसा जैसा चढ़ने लगा मैरे जहन पर वासना की खुमारी छाने लगी लगा जैसे कुवारी चूत कुछ कह रही हो मनो मेरी ३२ के चूचिया ३६ की हो गए हो सरे शारीर में चीटिया सी काटने लगी हो.
में जिंदगी की रह गुजर की एक तन्हा मुसाफिर-“सोफिया आलम नकवी” (सोफी)
एक निहायती पाकीज़ा शरीफ शर्मीली किताबी कीड़ा जिसने कभी किताबो से सर उठा कर किसी लड़के की तरफ भी न देखा हो जिसको चूत का एक इस्तमाल पता हो “मूतना” जिस को केवल गांड का एक इस्तमाल पता हो “टट्टी” करना जिस को मुँह का एक इस्तमाल पता हो “खाना” दोस्तों आप लोग खुद सोचो मेरी क्या हालत हो रही होगी जब मेरे सामने मेरी सब से अच्छी सहेली अपनी निहायती शरीफ और इज्जतदार माँ के साथ नंगी होके कुतिया बनीं है एक गंदे नौकर की गुलाम बनी है उस के सामने गांड खोल कर पाद रही है .