मज़ा आ गया राधा रंडी तेरा पाद सूंघ कर आ आआ ऐसे ही कुतिया बानी रहो. गोपाल अपना मुँह राधा बुआ की गांड के खुले छेद के पास ले जा कर अपनी नाक गांड के छेद मै घुसा देता है राधा बुआ मचल ने लगती है आ आआ करने लगती है . गोपाल की काली नाक पूरी गांड के अंदर चली जाती है और तभी वो अपनी साप जैसे लम्बी जीव निकलकर एक दम से राधा बुआ की चूत मै घुसा देता है. आ आआ आ आआ मालिक मैरे मालिक आआ आ आआ जोर से मालिक चाटो मेरी चूत मर गई ओ ए माँ ओ ए राधा बुआ मस्ती में चीखने लगती है. तभी गोपाल नाक और जीव निकाल लेता है और राखी से कहता है. उठ मेरी छोटी रांड मैरे पास आके बैठ राखी उस के पास आ के उस से चिपक जाती है. चल छोटी रांड मेरी नाक चाट तेरी माँ की गांड मै आज नाक से मरू गा आ जा रानी. ह मैरे राजा मैरे मालिक राखी गोपाल का सर पकड़ कर गोपाल की गन्दी काली नाक जो अभी उस की माँ की गांड मै से निकले थी पूरा मुँह में भर लेती है. और जोर जोर से चूसती है और अपनी जीव को नाक के अंदर डाल के ऐसे चाटती है जैसे आइसक्रीम चाट रही हो.गोपाल राखी के दूध जैसे चूतड़ों को अपने पिशाचों जैसे काले काले पंजो से बेदर्दी से मसल रहा था. फिर वो राखी के बाल पकड़ कर अपनी नाक राखी के मुँह से निकलता है. उस की नाक मै से राखी का थूक टपक रहा होता है. चल छोटी रंडी मैरे पीछे जा और जैसे मै अपनी नाक से तेरी माँ की गांड मार रहा हु उसी तरह तू मेरी गांड मार जा छिनाल जा और हां नाक डालने से पहले थोड़ा चाटना भी. और गोपाल राधा बुआ के चूतड़ फैला कर अपनी नाक उन की गांड मै डाल देता है. इस बार राखी के चाटने की बजह से नाक चिकनी हो गई थी सो वो और ज्यादा अंदर तक घुस गई और उस ने अपनी जीव भी बुआ की चूत मै पेाल दी. इस डबल मज़े से राधा बुआ की मस्ती भरी चीख निकल गई.
वहाँ राखी गोपाल के चूतड़ों को फैला कर अपनी नाक से गांड का छेद हलके हलके सहला रही थी और जोर जोर से सांसे ले रही थी ऐसा लग रहा था गोपाल की गांड की बदबू उस के लिए दनिया की सब से अच्छी खुसबू हो. वो दीवानो की तरह गोपाल के गांड सूघ रही थी और द्सरी तरफ उस की माँ भी गांड मरै और चूत चटाई से पागल हुई जा रही थी और जाने क्या क्या बाके जा रही थी. मालिक आ आआ जोर से चाटो खा जाओ मेरी चूत को आ अऊ ओहो मा मैरे सरताज हां यही पिशाब वाला छेद रगड़ो जीव से आआ आ मालिक.
ऐसा गंदगी से भरा सेक्स देख कर मेरी चूत पानी पानी हो रही थी. मेरा हाथ जाने कब मेरी चूत पर पहुंच चूका था. वहाँ राखी भी पागलो की तरह गोपाल की गांड मै कभी जीव तो कभी नाक और कभी जोर जोर से ऊगली डाल रही थी. तभी जोर से पू पूउउ पूउउ पुर पुर पूउउ गोपाल का पाद निकल गया इतनी तेज़ बदबू की मुझे बाहर होने के बाद भी उबकाई आ गई. लेकिन दोनों माँ बेटी तो जैसे पागल ही हो गई उन की आखे लाल लाल पिसचनियो जैसी लगने लगी और राखी ने पूरा गांड का छेद मुँह मै भर लिया और जोर जोर से आम जैसे चूसने लगी. अपना सर पटकने लगी गोपाल की गन्दी काली गांड पर वहाँ राधा बुआ जोर जोर से चिल्ला रही थी. मालिक ह ह आ आआ चाटो जोर से आ मारो मेरी गांड अअअ मारो अपनी रंडी की गांड यह सुनते ही गोपाल गांड से एक बार नाक निकल कर पूरा दम लगा के नाक द्वारा घुसा देता हैं. और जीव को कड़ा कर के सीधा चूत के अंदर कर देता ह अअअ उई माँ मर गई अहा आआ मै गई मालिक अहा मेरी चूत पानी छोड़ रही हैं आआ अअअअअ ओहो पिलो अपनी रांड का पानी आ और राधा बुआ की चूत से माल की पिचकारी छुटती हैं और गोपाल हु हु पिशाचों जैसी आबज़े निकलता और जोर से चाटने लगता हैं. और राधा बुआ का माल खाने लगता हैं .
और में जिंदगी की रह गुजर की एक तन्हा मुसाफिर-“सोफिया आलम नकवी” (सोफी)
जिंदगी के इस पहलु को देख कर सारी तमीज ओ तहजीब, शर्मो हया, किताबी ज्ञान, खानदानी रिवायते.
सब भूल कर चुतियो जैसे चूत की खुजली मिटने की नाकाम कोशिश करती अपनी चूत मसलती पिशाचलीला देखती जा रही थी.
जा छोटी रांड बोतल उठा ला, गोपाल की बात सुनकर राखी MD की बोतल उठा लती है. गोपाल बोतल मुँह से लगा के ३-४ बड़े बड़े घुट भरता है. और बोतल राधा बुआ को दे देता है. और राखी को अपनी गोदी मै खींच लेता है.
राधा बुआ भी बिना कुछ मिलाए सीधा बोतल से है दारू पीने लगती है. और गोपाल राखी को मसलने लगता है. क्या नजारा था एक माँ नंगी बैठी दारू पी रही थी और उस की बेटी नंगी होकर बाप की उम्र के ५० साल के काले कलूटे नौकर की गोद मै बैठी अपना जिस्म नुचवा रही थी. तभी गोपाल राखी को निचे लिटा देता है और खुद उसके ऊपर चढ़ जाता है राखी टांगे खोल कर गोपाल से लिपट जाती है. बड़ी रंडी मेरे पीछे जा और अपने हाथो से मेरा लण्ड अपनी बेटी की चूत मै डाल जा छिनाल जा, हा मेरे राजा अभी डालती हु अपनी बेटी के चूत में आप का लण्ड, आप को याद है मालिक़ जब मैने पहली वार आप का लोढ़ा इस छोटी रंडी के चूत में डाला था, तो साली कैसे चिल्ला उठी थी रांड की चूत फट गए थी, चार दिन तो चल ही नहीं प् रही थी ही ही ही ही .कुतिया तू मेरी माँ है की सौतन साली मेरे मज़े ले रही है, हरामिन तेरी वजह से ही मेरी चूत फटी थी उस दिन रांड, मालिक़ तो कह रहे थे तेल लगा के डाले गे तेरी ही माँ चुदी थी जो बिना तेल के डलवा दिया था, कुतिया साली राधा बुआ गोपाल के पीछे पहुंच कर गोपाल का लण्ड राखी की चूत पर घिसने लगती है. रंडी घिस क्यों रही है डाल न, माँ डालो न गोपाल पापा का लण्ड अपनी बेटी की चूत में, कैसी माँ है तू अपनी बेटी तो तड़पती है, न बेटा न ऐसा नहीं कहते मै बुरी माँ होती तो तुझ को गोपाल जैसा बड़ा लण्ड को दिलाती,
ले बेटा ले ले चूत मै लण्ड बुझा ले अपनी पियास ले रंडी मालिक का लोढ़ा, और वो गोपाल का लण्ड पकड़ कर राखी की चूत की छेद पर टिकाती है. बेस ही गोपाल जोर का झटका देता है और राखी की सुखी चूत मै गोपाल का आधा लण्ड घुस जाता है. माँ मर गई माँ आ ई आ ई माँ आ ई आआ राखी जोर से चीख पड़ती है, तभी गोपाल दूसरा झटका मर कर पूरा लण्ड छोटी रांड की चूत मै पेल देता है. अब तो राखी हलाल होते बकरे जैसे चिल्ला ने लगी राधा जल्दी से जाके अपनी गांड राखी के मुँह पर टिका कर बैठ गई, और गांड से पूरा जोर लगा के राखी का मुँह और नाक दवा दी, और गोपाल जोर जोर से झटके मर ने लगा राखी जलबिन मछली जैसे तड़प रही थी, उस की सगी माँ अपनी गांड से उस का मुँह और नाक बंद किए थी, वो साँस नहीं ले पा रही थी उस ने पूरी दम लगा के राधा को अपने मुँह से हटाया, और जोर जोर से खांसने लगी उस के मुँह से थूक का गुब्बारा उड़ने, लगा वो खासती जा रही थी और उस की माँ हस रही थी, है है है है मालिक़ देखो रंडी को कैसे फाड् फाड़ा रही है, लेकिन गोपाल को कुछ कहाँ सुनाई दे रहा था, वो तो राखी की चूत को आज भोसड़ा बनाने वाला था, राखी भी अब समल चुकी थी साली थी तो रंडी माँ की रंडी औलाद, राधा साली कुतिया तरे बाप ने तेरी माँ को कुत्तों से चुदवाया होगा हरामजादी तब तू पैदा हुई होगी, कैसी माँ है तू साली मेरी जान निकाल दी, अरे मेरा छोटा सा बेटा गुसा नहीं करते माँ तेरे को बहुत प्यार करती है, ले मुँह खोल मम्मी तेरे को दारू पिलाती है, और राधा MD की बोतल राखी के मुँह से लगा देती है, राखी 3-4 बड़े बड़े घुट लगती है आ हु ह जोर से राजा चोदो अपनी रांड को आ आआ ह हु आ, दारू और लण्ड के नसे मै राखी आसमान मै उड़ने लगती है, गोपाल भी ह हु ह हु करता पूरी ताकत से झटके मरता जाता है, बड़ी गुलाम हमारे सामने खड़ी हो जा मेरा होने वाला है तू जानती है न तुझे क्या करना है, ह मालिक़ और राधा बुआ उन के सामने खड़ी हो गई, और यह क्या वो उन दोनों के ऊपर पिशाब करने लगी, ह हु आ मूत रांड ओट जोर से ह ह हु हु आआ गोपाल तो मनो पिशाब पीकर पागल हो गया फट फट फट फट इतना जोर से चोदने लगा मनो शताब्दी ट्रैन जा रही हो,
और राखी भी पिशाब से नाहा गई थी और मुँह खोले अपनी सगी माँ का पिशाब पीती भी जा रही थी, आआ हह ह ह आ आआ माँ मालिक़ मर गई आ निकला मेरा निकला आआ ह इ इ आ आ राखी चिल्लाते हुआ झड़ने लगी,और गोपाल भी एक तेज़ झटका मर कर राखी के ऊपर गिर पड़ा और और उस के काले लण्ड का लावा राखी की चूत मै फूट पड़ा, .थोड़ी देर गोपाल उठ कर राखी के पास गया और अपना माल से सना लण्ड राखी के मुँह मै डाल कर बोलै, चल रांड साफ़ कर मेरा लण्ड तेरी चूत मै जाके यह गन्दा हो गया, राखी ने तुरंत मुँह खोला और माल की सफेदी से भिड़ा उस का कला लण्ड
मुँह मै लेकर चाट ने लगी, और राधा बुआ जल्दी से जाके अपनी बेटी की चूत पर झुक गई, और जींव निकल कर गोपाल और अपनी बेटी की चुदाई से निकला अमृत खाने लगी.
और में जिंदगी की रह गुजर की एक तन्हा मुसाफिर-“सोफिया आलम नकवी” (सोफी)
खिड़की पर खड़ी मनो पत्थर बन गई थी ऐसा खौफनाक सेक्स देख कर मेरी कुवारी चूत पानी पानी हो गई थी दिमाक कह रहा था भाग जा सोफी लेकिन कदम साथ नहीं दे रहे थे चुदाई राखी की हुई थी गांड मेरी फट गई थी.
एक वाक्य मै कहो तो “चूत दरिया और गांड” समंदर हो गई थी .
न तन्हाई दिख रही थी, न जिंदगी का होश था, न रह गुजर दिख रही थी.
तभी जोर से बिजली कड़की और मै बेहोसी के आलम मै डूबी चीख पड़ी और मेरी नजर “नरपिशाच” की नजरो से मिली .
सुबह काफी देर से नींद खुली शरीर टूट सा रहा था आखो में अभी भी नींद की खुमारी थी.
सोफी ओ सोफी माँ की आवाज आई जल्दी आ ऑन्टी आई है, मै आँखे मलती दूसरे कमरे में पहुंची .
सामने सोफे पर राधा बुआ बैठी थी सफ़ेद खादी की साड़ी, गले में पतली सी चेन, आखो पर चश्मा, माथे पर पूजा का टीका, तेजमय चेहरा, देख कर लगता था कोई पवित्र साधबी बैठी हो,
एक पल में मुझ को रात की घटना याद आ गई पुरे शरीर में भय की लहर दौड़ गई, टांगे काँपने लगी सुबह सुबह उन को यहां देख कर मेरा तो दम ही निकल गया, तभी दूसरी तरफ देखा तो शरीर को लकवा मार गया टट्टी रोकना मुश्किल हो गया वहाँ नरपिशाच बैठा था, जमीन पर सर झुकाए उकडू जैसे पुराने खानदानी नौकर बैठते, थे वो चाय पी रहा था जमीन पर बैठा जैसे कोई गुलाम हो ,जैसे कोई पालतू कुत्ता हो, इस मै कुछ नया नहीं था, बुआ राखी गोपाल यह लोग रोज ही आते रहते थे हमारे यहां ,और गोपाल हमेशा ऐसी कुत्ता स्टायल में ही बैठ ता था, लेकिन कल रात जो मेने देखा था उसे देख कर इन लोगो का काला डरवना सच मेरे सामने आ गया था. साधबी की चेहरे के पीछे छिपी पिशाचनी और नौकर के भेष में छुपा पिशाच.
आओ बेटा आओ देखो राधा बुआ तुम से मिलने आई है.
पापा की आवाज सुन कर जैसे मै मौत की नींद से जागी, पापा और माँ ऑफिस जाने को तयार थे, और राधा बुआ सामने बैठी चाय पी रही थी, और गोपाल जमीन पर बैठा था ,मेरे पापा मम्मी दोनों टीचर है सुबह 6 बजे स्कूल जाते है, में रोज 5 बजे उठती हूँ, लेकिन कल रात देर तक जागने की बजह से आज सुबह भी देर से उठी,
में डरते डरते बुआ के पास जाके बैठ गई
क्या हुआ सोफी बेटा आज तो तुम ने मुंह भी नहीं धोया अभी तक, देखो में तो मंदिर भी हो आई .
बू बू बुआ जी आज न न नींद तोडा देर से खुली.
चलो भाई आप लोग बात करो हम लोग स्कूल जाते है, शाम को मिलते है बहिन जी कहते हुए पापा मम्मी अपने अपने बैग लेकर उठ खड़े होती है, यह सुनते ही मेरी गांड फट के चौड़ी हो जाती है, में कुछ कहना चाहती हूँ ,लेकिन आवाज नहीं निकलती तभी राधा बुआ अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ लेती है, में डर के मारे पत्थर बन जाती हूँ, पापा मम्मी चले जाते है तभी मुझे राधा बुआ के आवाज सुनाई देती है, मालिक दरवाजा बंद कर दो पिशाच उठा और दरवाजा बंद करके सामने सोफे पर बैठ जाता है, सीन बदल जाता है गोपाल सोफे पर बैठा है राधा बुआ जमीन पर उस के पेरो के पास और में अपना अर्ध जिन्दा शरीर लिए सामने सोफे पर.
क्यों रे सोफिया कैसा लगा कल रात का शो. तू जल्दी चली गई थी बाद में तो और मज़ा आया.
गोपाल की बात सुनकर मेरा गाला सुकने लगा, बुआ जी मुझे माफ़ कर दो में किसी से कुछ नहीं कहुगी,
माँ की कसम खाती हूँ, आप लोग जाओ मेरे घर से.
चुप साली रांड कुतिया मेरी गुलाम से क्या बात करती है मुझ से बोल जो बोलना है.
गाली सुनकर में काँप गई जिंदगी में पहली वार किसी ने मुझे गाली दी थी, डर और बढ़ गया रात को में देख ही चुकी थी राधा बुआ गोपाल की गुलाम थी, सो उन से बात करने का कोई फायदा नहीं था.
गोपाल जी में माँ की कसम खाती हूँ, में आप लोगो की कोई बात कभी किसी से नहीं कहुँगी, आप लोग मेरे घर से चले जाओ और मुझको गाली मत दो,
माँकिलोड़ी तेरी माँ चोदू , साली कल जब तू आई थी तभी देख लिया था मेने तुझको, रंडी तू केवल कमरे में एक तरफ ही देख रही थी, कुतिया कमरे क़े दूसरी तरफ देखती तो तुझे पाता चलता, की सारे घर में कैमरे लगे है, तू जैसे ही घर क़े सामने पहुंचे थी, तभी से हम सब तुझ को देख रहे थे, साली तू शरीफ होती तो चूत खुजाती खुजाती हमारी चुदाई नहीं देखती दो घंटे तक हरामिन रांड बड़ी शरीफ बनती है.
कैमरे वाली बात सुनकर मेरी फटी गांड चार इंच और फट गई.
वो कहे जा रहा था तू क्या हम लोगो को चूतिया समझती है, साली तेरे जैसी हजार लोडिया चोद कर फेक दी मैने,
“तू क्या समझती है में इस रंडी का नौकर हूँ? मेरी असलियत जानकर तू यही बैठे बैठे मर जायेगी ”
फिर कौन हो आप ?
बताऊगा रांड सब बताऊगा लेकिन पहले तुझ को भी इस की तरह मेरा गुलाम बनना होगा कुतिया .
नहीं मुझे नहीं बनना किसी का गुलाम आप जाओ यहाँ से सब लोग इनके जैसे गंदे नहीं होते.
साली छिनार बड़ी शरीफ बनती है, रात मै क्या माँ चुदा रही थी चूत मसल मसल कर यही देख रही थी ना देख मेरा लण्ड राज इस को देख कर ही तेरी चूत गीली हो गई थी, बोल हरामिन और वो अपना काला घोड़े जैसा लण्ड बहार निकाल कर बैठ गया .
बंद करो इस को मुझे गन्दी बातें पसंद नहीं, और तमीज़ से बोलो मुझ से में इन रंडियो के जैसे तुम्हारी गुलाम नहीं हूँ.
वो अपना लण्ड पकडे सहला रहा था ना चाहते हुऐ भी में एक टक लण्ड को निहारे जा रही थी. तभी उस ने लण्ड की खाल निचे की सूपड़ा बहार निकला आलूबुखारे जैसा लाल लाल सूपड़ा खाल हटते ही अजीब सी स्मेल रूम मै फेल गई.
उस को सूघ कर मेरी हालत और ख़राब होने लगी, में जोर जोर से सासे लेने लगी दिमाक से काबू हटने लगा, आखे वासना की आग से लाल हो गई, वो मेरे पास और पास आया .और सूपड़ा मेरी नाक से सटा दिया, मेने जोर से सांस खींची मनो सुपडे पर हेरोइन डली हो मै सीधा आसमान में पहुंच गई, जाने कब मैरे मुँह से मेरी जीव बहार निकली और सुपडे के छेद से टच हो गई, तभी वो पीछे हट गया और सोफे पर जा के बैठ गया,
मुझे झटका लगा आसमान से सीधा जमीं पर गिरी, लाल आखो और भूखी कुतिया के तरह जीव निकले मै लण्ड के तरफ देख रही थी.
साली राधा तू फालतू बैठी बैठी क्या माँ चुदा रही है चल मेरे पैर साफ़ कर ,जब ताक में इस रांड से बात करता हूँ.
राधा बुआ सफ़ेद खादी की साड़ी, गले में पतली सी चेन, आखो पर चश्मा, माथे पर पूजा का टीका, तेजमय चेहरा, पवित्र साधबी या कहु गोपाल के चरणों की दासी, गोपाल की रांड, गोपाल की गुलाम, कुतिया जैसे झुक कर गोपाल के गंदे कीचड़ लगे पैर अपने तेजमय चेहरा से रगड़ने लगती है, जैसे कोई पालतू कुतिया अपने मालिक को प्यार कर रही हो, उस क़े पैर को चाट कर.
क्या देख रही है मेरे लण्ड को सोफिया रांड, भोक जल्दी कुतिया लण्ड लेना है बोल सोफी रंडी.
में जैसे पागल हो गई थी, ड्र्ग एडिट हो गई थी, में एक शरीफ पढ़ाकू खानदानी कुवारी लड़की, एक नौकर के गंदे लण्ड की गुलाम बनती जा रही थी, क्या हो रहा था मुझे, जुवां साथ नहीं दे रही थी मैरे मुँह से कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी .
बोल रांड तुझे यही लण्ड चाहिए ना देख ध्यान से देख सुपडे को, देख यह जो काला सफ़ेद लगा है, यह राधा रांड की गांड और मैरे लण्ड का माल है, तेरे जाने के बाद मेने इस की गांड मारी थी, तब का लगा है खास तेरे लिए बचाया है, नहीं तो इस की बेटी और यह रोज दोनों मिलकर चाट कर मेरि गांड और लण्ड साफ़ करती है, कल मेने केवल गांड साफ़ कराई थी,लण्ड तेरे लिया बचा लिया था, बोल कुतिया चाटेगी गांड और लण्ड का मिक्स माल चूसेगी मेरा लण्ड बनेगी मेरि गुलाम रंडी.
वासना की आग में जलते हुऐ, मेरी सराफत की माँ चुद गई, मेरी पाकीज़गी मेरी गांड मै घुस गई, खानदानी रिबायतो पर मेने मूत दिया, और बोली हां गोपाल तुम जो कहोगे में वो करूगी, बनुगी तेरी रंडी बनुगी, तेरी गुलाम, मुझे गांड और लण्ड का मिक्स माल चाटने दो अपने लण्ड से.
तड़ाक तड़ाक दो जोरदार थपड पड़ते है मेरी आखो से आँसू निकल पड़े.
राधा बुआ किसी पिसाहचणी के तरह मैरे सामने खाड़ी थी, बिखरे बाल चेहरा कीचड़ और थूक से भिड़ा हुआ. मुझ से जाने क्या गलती हो गई थी जो बुआ ने मुझ को दो थप्पड़ मार दिय.
रंडी अब तू मालिकः की गुलाम बन गई फिर भी मालिक का नाम लेती है.
गलती हो गई बुआ माफ़ कर दो में गुलामी के रूल नहीं जानती.
मालिक से माफ़ी मांग जब मालिक बैठा हो तो किसी और से कुछ नहीं मांगते, जो भी मांगना हो मालिक से मांगते है, चिंता मत कर में सब सीखा दूगी, तुझे जा कुतिया बन के मालिक के पास जा और माफ़ी मांग.
मै कुतिया जैसी बनी पूउउ पूउउ पूउउउउउ पूउउ मेरा पाद छुट पड़ा, मै सीधा उठ कर यहाँ आ गई थी, मेने ना पेस्ट किया था ना टट्टी सो जोर से मेरा पाद छुट पड़ा.
में शर्म से पानी पानी हो गई २२ साल से सीख रही थी, लड़कियों और औरतो को केबल टट्टी में पादना चाहिए, मेने भी पहलीवार किसी के सामने पादा था.
मालिक गलती हो गई में आज टट्टी नहीं गई सो पाद निकल गया.
लेकिन मालिक और बुआ तो जैसे दूसरी दुनिया में बिचरण कर रहे थे, जोर जोर से सांस ले ले कर दोनों मेरा पाद सूंघ रहे थे, उन को देख कर मेने भी जोर से सांस ली उफ़ उफ़ दिमाक घूम गया, उफ़ वही हेरोइन का नशा चढ़ने लगा, में भी उन की तरह जोर जोर से सांसे लेने लगी और अपना पाद सुघने लगी.
भली सांगत का असर इस को कहते है, २२ साल से रोज पादती थी लेकिन लेकिन कहाँ जानती थी, की इतनी दिव्य खुसबू होती है, हेरोइन जैसा नशा होता है, आज गोपाल और राधा बुआ जैसे भले लोगो से मिलकर यह ज्ञान की बात पता चली,
तभी तो कहा गया है “जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान, मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान” जब भी मौका मिले ज्ञानियों से ज्ञान ले लो .
यहाँ पर में उन भाई बहिनो से कहना चाहुगी जो लोग हेरोइन का नशा करते है, एक बार अपना पाद सूंघ कर देखे शायद उन को हेरोइन सुघने की जरूरत ना पड़े “पाद” से ही काम चल जाए.