मैं उनका इशारा समझ गया. वो मुझे साफ साफ लाइन दे रही थी. मैं उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उनको अपनी बांहों में जकड़ लिया. मेरा लंड भाभी की गांड में घुसने को हो रहा था.
इस पर वो नाराज होते हुए बोली- पागल है क्या तू? किसी ने देख लिया तो?
फिर मैं पीछे हो गया.
वो बोली- तुझे इसका कुछ इलाज नहीं मिला क्या?
मैं बोला- जब इलाज घर में ही है तो मैं कहीं बाहर ढूंढने के लिए क्यों जाऊं?
इतने में ही मां किचन में आ गयी. फिर मैं अपने रूम में चला गया.
दो दिन के बाद बहन के ससुराल में कुछ फंक्शन था. सभी लोग वहीं पर जाने लगे. मैं और भाभी घर में ही थे. मेरा तो एग्जाम था और भाभी को मम्मी ने बोल दिया कि राहुल का पेपर है इसलिए तुम भी यहीं रह जाओ. इसको खाने की दिक्कत नहीं होगी.
सबके जाने के बाद मैं पढा़ई करने के लिए अपने रूम में चला गया. भाभी और मैं घर में अकेले थे. यही सोच सोच कर मेरा मन पढा़ई में लग ही नहीं रहा था. मैं किताबों से बोर होने लगा और नीचे आ गया.
नीचे आकर देखा तो भाभी किचन में काम कर रही थी. मैंने पीछे से आकर उनको पकड़ लिया. वो कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैं भाभी के बूब्स दबाने लगा.
वो बोली- मुझे खाना बनाने देगा एक बार?
मैं बोला- ठीक है.
तभी मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखवा लिया. मेरा लौड़ा तना हुआ था.
मैं बोला- भाभी इसका इलाज कर ही दो.
भाभी बोली- ठीक है, देखती हूं.
मैं खुश हो गया और बाजार में जाकर कुछ गुलाब ले आया. मैंने अपने रूम को थोड़ा सा सजा दिया. उसके बाद खाना खाकर मैं नीचे टीवी देखने लगा.
कुछ देर के बाद भाभी भी मेरी बगल में आकर ही बैठ गयी.
मैं बोला- भाभी बैठो मत, कुछ इलाज कर दो मेरे इस औजार के लिए।
वो हंसते हुए बोली- यहीं पर?
मैंने कहा- नहीं, मेरे रूम में आ जाओ. मैंने अपने रूम को सुहागरात की तरह सजा कर रखा हुआ है आपकी खातिर।
वो पूछने लगी- सच में?
मैंने कहा- यकीन नहीं तो चल कर देख लो.
फिर मैं उनको अपनी गोद में उठा कर अपने रूम की ओर ले जाने लगा. मेरा लौड़ा तो पहले से ही खड़ा हुआ था जो उनकी कमर पर चुभ रहा था.
वो बोली- लगता है कि आज तू मेरी जान ही निकाल देगा.
मैं बोला- क्यों भाभी?
वो बोली- तेरा ये हथियार तो कभी नीचे ही नहीं रहता. हमेशा ऊपर ही रहता है. अगर ये बैठा नहीं तो मैं सारी रात में इसको झेलते हुए मर ही जाऊंगी.
मैंने कहा- नहीं भाभी, आज मैं आपको भैया से भी ज्यादा प्यार करूंगा. आपको बहुत ज्यादा खुशी दूंगा.
हम रूम पर पहुंच गये. मैं भाभी को अंदर ले गया और रूम की लाइट जला दी. भाभी मेरे रूम को देख कर दंग रह गयी.
वो बोली- आज तो पक्का ही तू मेरे साथ सुहागरात मना कर ही छोड़ेगा.
इतने में मैंने रूम को अंदर से लॉक कर दिया. मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया. उनको किस करने लगा.
कुछ देर किस करने के बाद मैं उनकी साड़ी को खोलने लगा. मैंने उनकी साड़ी उतार दी और उनके पूरे जिस्म को चूमने लगा.
सोनम भाभी गर्म होने लगी. उसके चेहरे पर मदहोशी दिखने लगी. फिर मैंने उसके ब्लाउज और पेटीकोट भी खोल दिया. वो केवल ब्रा और पैंटी में मेरी आंखों के सामने खड़ी थी.
वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी. सेक्सी भाभी को देख कर मेरा लंड इतनी जोर से झटके दे रहा था कि उसमें दर्द उठने लगा था. अब मुझसे भी एक एक पल इंतजार करना मुश्किल हो रहा था.
अब मैं भाभी की ब्रा को भी खोलने लगा.
वो बोली- अपनी तोप को कब आजाद करोगे देवर जी?
मैं बोला- लो मेरी जान, अभी कर देता हूं.
मैं अपनी पैंट की जिप खोलने लगा तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली कि मुझे करने दो.
घुटनों पर बैठ कर वो मेरी पैंट को खोलने लगी. मेरी पैंट को खोल कर उसने नीचे कर दिया और मेरा लौड़ा मेरे अंडरवियर में एकदम तोप की तरह उठा हुआ उसकी आंखों के सामने था.
भाभी ने मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही चूम लिया.
मुझे इतना मजा आया कि मैं आपको क्या बताऊं?
भाभी मेरे लंड को जीभ निकाल कर ऊपर से ही चाटने लगी.
फिर भाभी ने मेरा अंडरवियर खींच दिया और मेरा लंड उसके मुंह पर जाकर लगा.
मेरे लंड को हैरानी से देखते हुए वो बोली- हाय… इतना बड़ा भी होता है क्या किसी का?
ये कह कर भाभी ने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और उसको लॉलीपोप की तरह चूसने लगी.
10 मिनट तक पूरी मस्ती में मेरे लंड को चूसने के बाद मेरा कंट्रोल खो गया. मैंने भाभी के मुंह में ही अपना माल छोड़ दिया.