सोनाली ने साबुन उठाया और जिश्म पर लगाते हुए अपनी चूत पर मलने लगी। सोनाली की आँखें बंद होने लगी। उसने साबुन नीचे रखा और अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाल दी और आगे-पीछे करने लगी, अपने दूसरे हाथ से अपनी छाती के निपल को मसलने लगी। अचानक उसने अपनी दूसरी उंगली भी अपनी चूत में। डाली और बड़े जोर से आगे-पीछे करने लगी। वो अपने दूसरे हाथ से चूत के दाने को रगड़ने लगी। वो झड़ने के बिल्कुल करीब थी थी, और वो तेज सांस लेते हुए झड़ गई। कुछ देर बाद वो बाथरूम से बाहर निकली और नाश्ता बनाने लगी। नाश्ता करने के बाद उसकी दोनों बेटियां और भांजी पढ़ने के लिए चली गई, और वो अपने घर का काम करने लगी।
ऐसे ही कब दिन निकल गया और रात को वो सबको दूध पिलाकर जय के आने का इंतजार करने लगी। वो । सारा दिन आकाश के बारे में सोचते हुए बहुत गर्म हो चुकी थी। अचानक दरवाजे के खटकने की आवाज आते ही उसने जल्दी से जाकर दरवाजा खोला, तरी सामने जय के साथ एक 40 साल का बहुत सुंदर दिखने वाला शख्स खड़ा था। उसका कद कोई 6 फूट था, और उसका रंग गोरा था।
उसने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए सोनाली को कहा- “हेलो मेरा नाम आकाश है…”
सोनाली जैसे नींद से जागी और अपना हाथ बढ़ाकर उससे कहा- “मेरा नाम सोनाली है…”
जय और आकाश सोनाली के साथ अंदर दाखिल हुए। जय ने सोनाली को कहा- “मैं जा रहा हूँ, तुम आकाश सर का खयाल रखना…” और वो वहाँ से चला गया।
सोनाली दरवाजा बंद करके आकाश को अंदर अपने कमरे में ले गई। आकाश ने बिस्तर पे बैठते ही सोनाली को अपने साइड में बैठाकर उस अपनी बाँहों में ले लिया, सोनाली शर्म से कुछ हिचकिचा रही थी। उसने सोनाली का चेहरा अपने हाथों में ले लिया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया। सोनाली भी उसकी बाहों में लिपट गई। आकाश ने उसके गुलाबी होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमने लगा।
सोनाली तो पहले से ही बहुत गर्म थी। वो भी चुंबन का जवाब देने लगी।
आकाश ने सोनाली के नीचे वाले होंठ को अपने दांतों के बीच दबाकर धीरे-धीरे काटना शुरू कर दिया। आकाश ने अपनी जीभ सोनाली के मुँह में डाल दी, तो वो उसे ऐसे चाटने लगी जैसे उसे कोई मीठा फल मिल गया हो। कुछ देर आकाश उसे ऐसे चूमता रहा, फिर उसने सोनाली की कमीज और ब्रा उतार दी और उसकी भारी-भारी चूचियां बड़े गौर से देखने लगा। आकाश ने आगे बढ़ते हुए अपने होंठ सोनाली की चूची की एक निपल को अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा। सोनाली के सारे बदन में सिहरन सी होने लगी।
आकाश एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसता और दूसरी को अपने हाथ से मसलता। सोनाली उत्तेजना में अपने सिर को पटकने लगी। एक निपल को कुछ देर चूसने के बाद वो दूसरी निपल को मुँह में लेकर चूसने लगा। सोनाली से अब रहा नहीं गया और उसने आकाश को थोड़ा दूर धकेलते हुए उसकी शर्ट और पैंट उतार दी और चड्ढी के ऊपर से उसके खड़े लण्ड को अपनी मुट्ठी में ले लिया। उसका लिंग बहुत बड़ा था। सोनाली अपनी मुठ्ठी से उसे टटोलने लगी। उसकी उत्तेजना यह जानकर और बढ़ गई की आकाश का लण्ड जय के लण्ड से बड़ा था। आकाश ने आगे बढ़कर सोनाली की सलवार और कच्छी भी उतार दी और भूखी नजरों से सोनाली की गुलाबी चूत को देखने लगा।
सोनाली भी आकाश के गठीले बदन को बड़ी गौर से देख रही थी। सोनाली ने आगे बढ़कर आकाश की पैंट और अंडरवेर निकाल दिया। आकाश का लण्ड देखकर सोनाली के मुँह से हल्की आह निकल गई- “आपका बहुत बड़ा है..” कहते हुए उसने आकाश के लण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और आगे-पीछे करने लगी।
आकाश के लण्ड के छेद पर एक बूंद प्री-कम की चमक रही थी। सोनाली ने अपनी जीभ निकाली और उसके प्रीकम की बूंद को चाट लिया। आकाश के मुँह से हल्की सिसकी निकली। सोनाली अपनी जीभ उसके लण्ड के सुपाड़े पर फिराने लगी और उसे अपने मुँह में लेकर चाटने लगी।
आकाश ने- “आहहह… ऊऊहह..” करते हुए सोनाली के सिर को पकड़ लिया और अपने लण्ड पर दबाने लगा। अचानक आकाश ने उसके सिर को पकड़कर एक जोर का धक्का मारा, तो सोनाली को लगा जैसे आकाश का लण्ड उसका गला फाड़कर पेट में घुस जाएगा, और वो दर्द से छटपटाने लगी। उसने फिर से लण्ड थोड़ा बाहर निकाला और फिर से अंदर धकेल दिया।
कुछ देर बाद सोनाली को भी अच्छा लगने लगा और उसका बदन अकड़ने लगा और निपलों तनने लगे। सोनाली की चूत से ढेर सारा रस निकलता हुआ उसकी जांघों से होता हुआ उसकी घुटनों को गीला कर रहा था।
आकाश ने अपना लण्ड सोनाली मुँह से निकालते हुए उसे उठाकर बेड पर लेटा दिया। सोनाली ने अपनी टाँगें फैला दी। आकाश सोनाली की चमकती चूत को देखते हुए अपना लण्ड चूत पर रख दिया। सोनाली उसके चहरे को निहार रही थी, मगर उसका सारा ध्यान आकाश के लण्ड पर था की वो कब उसकी चूत की भूख मिटाएगा। उत्तेजना के मारे सोनाली की चूत के होंठ खुल गए। आकाश ने एक जोर का धक्का मारा और पूरा लण्ड सरकता हुआ अंदर तक चला गया।
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सोनाली चीख उठी- “ऊऊऊ… ओफफ्फ़… आहहह..” उसे ऐसे लगा जैसे लण्ड उसके पूरे बदन को चीर कर रख देगा। सोनाली ने अपनी टाँगें आकाश की कमर में जकड़ रखी थी, उसके मुँह से हल्की चीखें निकल रही थी। मगर अपनी टाँगों से वो आकाश को अपनी योनि पे दबा रही थी।
आकाश ने अपना लण्ड बाहर खींचा, उसके लण्ड के साथ सोनाली का पानी भी निकल गया। सोनाली को ऐसा लगा जैसे आकाश का लण्ड पिस्टन की तरह बाहर जाते हुए अपने साथ उसकी चूत के रस को बाहर खींचता हुआ ले जा रहा हो। सोनाली झड़ते ही हाँफने लगी।
आकाश ने धक्के लगाने शुरू कर दिये। कुछ ही देर में सोनाली फिर से गर्म हो गई। आकाश अब सोनाली की चूत से लण्ड निकालकर सीधा लेट गया और सोनाली को ऊपर आने को कहा। सोनाली ने उठते हुए आकाश के लण्ड को देखा। अपने ही रस से भीगा हुआ मोटा लण्ड उसे पागल बना रहा था। सोनाली उसकी कमर के दोनों ओर अपने घुटनों को रखकर अपनी चूत को आसमान की ओर तने लण्ड पर रखा, और फिर अपने हाथों से आकाश के लण्ड को अपनी चूत पर सेट किया और अपनी कमर को नीचे दबाया, आकाश के लण्ड का कुछ हिस्सा अंदर चला गया। सोनाली के मुँह से हल्की आह निकल गई।
आकाश ने अपने दोनों हाथों से सोनाली की छातियों को थाम लिया और दबाने लगा। सोनाली ने अपना सारा बोझ आकाश पर डालते हुए उसके पूरे लण्ड को अपनी चूत में ले लिया और अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी। आकाश सोनाली की छातियों को जोर से दबाते हुए उसकी एक चूची को मसल देता कभी दूसरी को। सोनाली मजे से ‘आअहह्ह… ओईई… करते हुए अपने चूतड़ को आकाश के लण्ड के टोपे तक ले जाती और अपने पूरे बोझ के साथ नीचे बैठ जाती। वो उत्तेजना के मारे पागल हो रही थी, और आकाश के लण्ड पे तेजी से ऊपरनीचे हो रही थी। अचानक सोनाली आअह्ह… करते हुए आकाश के लण्ड से दूसरी बार झड़ गई और हाँफते हुए निढाल होकर उसके ऊपर लेट गई।
आकाश ने सोनाली के होंठ चूमते हुए उसे अपने ऊपर से उठाया और उसे खींचकर बेड के किनारे हाथ और पैरों के बल ऊंचा किया। आकाश ने बेड के पास जमीन पर खड़े होकर पीछे से सोनाली की चूत में लण्ड डाल दिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। आकाश के धक्के इतने जोर के थे की सोनाली उसके हर धक्के के साथ चीख उठती। पूरे कमरे में सोनाली की उत्तेजना की आवाजें गूंज रही थी। सोनाली की ऐसी शानदार चुदाई पहले कभी नहीं हुई थी।
आकाश किसी माहिर खिलाड़ी की तरह सोनाली की एक घंटे तक लगातार चुदाई करता रहा, और उसने अपना सारा वीर्य सोनाली की चूत में भर दिया। सोनाली आकाश का गर्म वीर्य अंदर महसूस करते ही तीसरी बार झड़ गई और निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी। आकाश कुछ देर सोनाली के बदन पर पड़ा रहा और फिर साइड में होकर लेट गया। सोनाली की चूत से आकाश का वीर्य सफेद चादर को गीला कर रहा था।
सोनाली आज बहुत खुश थी, आकाश को अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठों को चूमते हुए कहा- “अब मैं आपसे दूर नहीं जा सकती, आपने मुझे जिंदगी का सबसे बड़ा मजा दिया है…”
आकाश ने सोनाली को अपनी बाहों में भरते हुए उसे अपने सीने पर लिटा लिया। सोनाली ने नीचे सरकते हुए आकाश के सीने को चूमा और उसके सीने के बालों में हाथ फेरने लगी और अपनी जीभ निकालकर आकाश के निपल पर फिराने लगी। फिर वो सरकते हुए नीचे जाने लगी और उसके लण्ड के घने बालों पे अपने मुँह को। रखकर एक गहरी साँस ली। फिर अपनी जीभ को उसके नरम पड़े लण्ड पर फिराने लगी। सोनाली की उंगलियां आकाश के बालों पर फिर रही थी।
आकाश- “क्यों मन नहीं भरा?” आकाश ने सोनाली से पूछा।
सोनाली- “उम्म्म्म
… नहीं…”
आकाश ने उसकी छाती के निपलों को मसलते हुए अपने लण्ड की ओर इशारा करते हुए पूछा- “कैसा लगा यह?”
सोनाली- “बहुत अच्छा… जी करता है की इसे अपनी चूत में ही डाले रखें..” यह कहते हुए उसने आकाश का ढीला लण्ड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।
आकाश का लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। सोनाली ने आकाश के लण्ड के मोटे छेद पे जीभ रखी और उस जोर से चाटने लगी। वो अपने हाथ आकाश के अंडों में डालकर उसे सहलाते हुए अपनी जीभ नीचे लेजाकर चाटने लगी। आकाश के मुँह से आह्ह्ह… की आवाज निकली। उसने सोनाली को बेड पर सीधा लेटा दिया और उसकी चूचियों को चाटते हुये नीचे बढ़ने लगा और सोनाली की गीली चूत पर होंठ रख दिए।
सोनाली की आँखें मजे से बंद होने लगी। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और सोनाली की चूत की दरार को । अपने हाथों से खोलते हुए अंदर घुसा दिया। सोनाली आनंद के मारे अह्ह… करते हुए अपने हाथों को आकाश के बालों में डालकर सहलाने लगी।
आकाश अपनी जीभ को बहुत अंदर तक पेल रहा था और अपने हाथों को सोनाली के भारी चूतड़ों में डालकर उसे दबाते हुए अपनी उंगलियों से उसकी गाण्ड को कुरेदने लगा। सोनाली मजे से सिसक रही थी। आकाश ने सोनाली को घोड़ी बनाकर लेटाया और अपना लण्ड पीछे से सोनाली की चूत में घुसा दिया और धक्के लगाने लगा।
सोनाली भी मजे से अपने चूतड़ आकाश के लण्ड पर दबाने लगी। सोनाली की चूत बहुत गीली थी, आकाश के धक्कों के साथ पच-पच की आवाज सारे कमरे में गूजने लगी। आकाश धक्के लगाते हुए अपने दोनों हाथों से सोनाली की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को मसलने लगा। अब आकाश तूफान की रफ़्तार के साथ सोनाली चोद रहा था। सोनाली के मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थीं। अचानक सोनाली का बदन अकड़ने लगा और अपने
चूतड़ों को तेजी के साथ आकाश के लण्ड पर दबाने लगी और आह्ह्ह करते हुए झड़ने लगी। आकाश तब तक धक्के मरता रहा, जब तक सोनाली झड़कर शांत हो गई।
सोनाली झड़ने के बाद लण्ड को अपनी चूत से निकालकर सीधा बैठ गई और अपनी चूत के रस से गीले लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। सोनाली ने अपना पूरा मुँह खोल रखा था और आकाश का लण्ड जितना हो सकता था अंदर ले लिया और अपने नरम होंठों से आगे-पीछे करने लगी।
आकाश की आँखें मजे से बंद होने लगी। सोनाली आकाश के लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकलते हुए उसे ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ से चाटने लगी और अपना दूसरे हाथ से उसकी आँड को सहलाने लगी। आकाश ने सोनाली को बेड पर गिराते हुए उसके ऊपर चढ़कर अपना लण्ड उसकी दोनों चूचियों के बीच रखा और धक्के लगाने लगा। इस पोजीशन में आकाश का लण्ड सोनाली की चूचियों के बीच होता हुआ उसके होंठों को छूता। सोनाली अपना मुँह खोलकर सुपाड़े को चाट लेती। आकाश ने सोनाली की दोनों चूचियां कसकर पकड़ रखी थी और अपना लण्ड उनके बीच बहुत जोर से आगे-पीछे कर रहा था। आकाश का बाँध अब टूटने वाला था।
सोनाली ने आकाश से कहा- “अपना वीर्य मेरे मुँह में छोड़ना…”
आकाश ने अपना लण्ड उसके मुँह में डालकर वीर्य से भरने लगा। सोनाली ने वीर्य की एक बूंद भी नीचे नहीं गिरने दी और सारा वीर्य पी लिया। सोनाली अब निढाल होकर बेड पर लेट गई।
आकाश बाथरूम से फ्रेश होकर आया और सोनाली के होंठों पर चुंबन देते हुए कहा- “मैं जा रहा हूँ, यह मेरा फोन नंबर है। जब आप फोन करेंगी मैं हाजिर हो जाऊँगा.”
सोनाली उसके साथ दरवाजे तक आ गई और उसके जाने के बाद दरवाजा बंद करके अपने कमरे में आकर धन्नो और बिंदिया के बारे में सोचने लगी, क्योंकी शाम को सोनाली ने बिंदिया और धन्नो की बातें सुन ली थी। सोनाली को पता चल चुका था की उसके बारे में बिंदिया और धन्नो सब कुछ जान चुकी हैं। इसीलिए आज उसने दूध की बजाए खाने में दवा मिला दी थी। वो नहीं चाहती थी की बिंदिया और सोनाली उसे रोज देखें। क्योंकी वो यह सब देखकर गलत रास्ते पर जा सकती थी। यही सोचते हुए उसे नींद आ गई।
सुबह को मैं और बिंदिया तैयार होकर साथ में कालेज जाने लगी। मैंने बिंदिया से कहा- “रात को मुझे नींद आ गई थी क्या तुमने कुछ देखा था…”
बिंदिया ने कहा- “मुझ भी नींद आ गई थी…”
धन्नो- “मुझे तो उस रात के बारे में सोचते हुए गुदगुदी होती है…”
हम बातें करते हुए कालेज पहुँच गये। मैं अपने क्लास में चली गई। बिंदिया अपने क्लास में पहुँचते ही रोहन के साथ जाकर बैठ गई।
एक पीरियड के बाद रोहन ने बिंदिया से कहा- “खाली पीरियड है चलो पार्क में बैठकर बातें करते हैं…” और दोनों पार्क में आकर बैठ गये।
रोहन ने बातें करते हुए अपना हाथ बिंदिया के हाथ के ऊपर रख दिया। बिंदिया अपने हाथ पर मर्द का स्पर्श पाते ही सिहर उठी। उसे कभी किसी मर्द ने छुआ तक नहीं था। रोहन का मजबूत हाथ उसे पागल बना रहा था। रोहन ने बिंदिया के हाथ पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया। रोहन पहले कभी भी बिंदिया को हाथ लगाता था तो वो उसे अपने आपसे परे धकेल देती थी। लेकिन आज बिंदिया भी रोहन को नहीं रोक रही थी। रोहन ने आगे बढ़ते हुए बिंदिया के सिर को अपने कंधे से उठाया और उसके तपते होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
बिंदिया मजे से हवा में उड़ने लगी। उसके सारे बदन में चींटियां रेंग रही थी। तभी पार्क के बाहर किसी के कदमों की आवाज सुनकर बिंदिया ने रोहन को परे धकेलते हुए अपने आपको ठीक किया। बिंदिया की साँसें अभी तक बहुत तेज चल रही थीं। उसने अपनी साँसों को ठीक किया।
तभी वहाँ से एक जोड़ा गुजरता हुआ चला गया।
रोहन ने बिंदिया को बैठने को कहा मगर वो डर रही थी के कहीं कोई और ना आ जाए। बिंदिया ने रोहन से कहा- “चलो क्लास शुरू हो गई होगी, क्लास में चलते हैं…” और रोहन के साथ क्लास में आ गई।
मैं भी खाली पीरियड देखकर बाहर चली आई और पार्क में आकर बैठ गई और किताब खोलकर पढ़ने लगी। तभी मुझे कुछ अजीब आवाज सुनाई दी। मैंने गौर से सुना की किसी लड़की के हँसने की आवाज थी जो पार्क के दूसरी तरफ से आ रही थी।