है कि कैसे मैंने अपने दोस्त की माँ को चोदा!

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मैंने कहा- तो मैं आपको रोज प्यार करता … जीभर के … आपको कोई कमी नहीं होने देता.
ये बोलते हुए मैं उठ कर उनके पास जाकर बैठ गया. मैंने अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया.

तो उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया और खड़े होते हुए बोलीं- ये गलत है … तू मेरे बेटे का दोस्त है … और उम्र में भी मुझसे बहुत छोटा है.
मैंने कहा- चाची मैं आपको पसंद करता हूं … आपसे प्यार करता हूँ बस … और मैं कुछ नहीं जानता.

यह कह कर मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया. वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थीं, पर मैंने नहीं छोड़ा.

फिर वो ढीली पड़ गईं और मुझे बांहों में जकड़े रहने दिया. बल्कि वो खुद भी अपनी जकड़न बढ़ाने लगीं.

जब वो भी मुझे अपनी बांहों में जकड़ने लगीं तो मैंने उनकी गर्दन को पीछे करके उन्हें देखा. तो पाया कि दोस्त की अम्मी की आंखों में थोड़े आंसू आ गए थे.

मैंने चाची के आंसू पौंछे और उनके होंठों को किस करने लगा.

पहले तो वो बस यूं ही खड़ी रहीं, पर थोड़ी देर बाद वो भी मेरे किस का रेस्पोंस देने लगीं. मैं उनको जोर से किस करने लगा. मैंने अपना हाथ उनकी कमर में डाला और जैसे ही मैं चाची के मम्मों पर हाथ ले जाने वाला था कि बाहर से इमरान की गाड़ी रुकने की आवाज आ गई और हम दोनों अलग हो गए.

चाची की आंखों में मुझे साफ साफ मायूसी दिखी … पर मुझे अपने घर जाना पड़ा.

अब हम अगली बार मिलने के मौके का इन्तजार करने लगे.
मैं अब काफी बेचैन रहने लगा था.

दो दिन बाद मैंने चाची को कॉल किया तो उन्होंने कहा- पांच दिन बाद इमरान और उसके पापा दो दिन के लिए बाहर जा रहे हैं, तब तुम आ जाना.
मैं खुशी के मारे एकदम से उछल पड़ा.

फिर वो दिन भी आ गया, जब इमरान और उसके पापा चले गए. मैं चाची के घर पहुंचा, तो उन्होंने मुझे प्यार से गले लगाया और अपने कमरे में ले गईं.
चाची ने मुझसे कहा- बैठो, मैं अभी आती हूँ.

मैं चाची के रूम में बैठ गया और वो चाय बनाने चली गईं.

मैंने देखा उन्होंने सलवार सूट पहन रखा था, जो पिंक कलर का था. चाची के ऊपर ये रंग बड़ा मस्त लग रहा था.

दो मिनट बाद चाची चाय लेकर कमरे में आ गईं और हम दोनों ने चाय पी.

वो मेरी आँखों में देखने लगी थीं. मैं उनके एकदम पास बैठ गया और उनको बांहों में लेकर किस करने लगा.

उनको भी मेरे साथ मजा आ रहा था. वो भी एन्जॉय कर रही थीं और हल्के स्वर में मादक सिसकारियां भी ले रही थीं.

अचानक उन्होंने मुझे हटा दिया और किचन की तरफ चली गईं.

मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया और उनको पीछे से पकड़ लिया. मैंने एक हाथ चाची की कमर में डाला और दूसरे हाथ से उनके बड़े मम्मों को दबाने लगा. चाची के मम्मे मेरे हाथ में ही नहीं आ रहे थे. उनकी चूचियों की गोलाई का अहसास मुझे पहली बार हो रहा था.

चाची धीरे-धीरे ‘अह्ह आहह सीईई ईईई उउम्म.’ किए जा रही थीं.

फिर उन्होंने कहा- पिछले एक साल से मेरे शौहर ने मुझे हाथ तक नहीं लगाया है.
मैंने कहा- डोंट वरी आंटी … अब मैं हूँ ना.

फिर मैंने उनको वहीं डाइनिंग टेबल पर लिटाया और उनकी कुर्ती निकाल कर उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा. उनके सपाट चिकने पेट को किस करने लगा और नाभि को जीभ से चाटने लगा.

चाची लगातार कामुक आवाजों में मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थीं ‘अह्ह ह्ह अम्म्म अह्ह्ह सीईई ईईई.’

मैंने अपनी शर्ट निकाल दी और उनकी भी सलवार खोल दी. उनकी नंगी हो चुकी जांघों को मैं जीभ से चाटने लगा. उनको बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था. और वे लगातार मादक आवाज निकाल कर मुझे कुछ ज्यादा ही उकसा रही थीं.

मैंने अपना पैंट खोल दिया और उनको देखा.
उन्होंने मेरे लंड पर अपना हाथ रख कर कहा- आह ये काफी बड़ा है … बड़ा सख्त और मोटा लंड है तेरा आशीष … तू मुझे पहले क्यों नहीं मिला रे … आज काफी मजा आने वाला है.

मैंने चाची की पैंटी भी निकाल दी. उनकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे. मैं घुटनों के बल बैठ गया और उनकी चूत को जीभ से चाटने लगा.

उन्होंने मुझे हटाते हुए कहा- क्या कर रहा है तू … हट जा … वो गंदी जगह है. मेरे शौहर कभी ऐसा नहीं करते.
पर उन्हें अच्छा भी लग रहा था, तो मस्त मादक सीत्कार भी करे जा रही थीं ‘अह हह … सीईई … मर गयीईई … रुक जा मत कर.’

आंटी मुझे हटा भी रही थीं और मुझे सर दबा कर अपनी चूत को रगड़वा भी रही थीं.

कुछ देर चूत चूसने के बाद मैंने अपना अंडरवियर निकाला और उठ कर सीधा दोस्त की माँ के हाथ में लंड दे दिया.

वो प्यार से लंड सहलाने लगीं. मेरा लंड और भी सख्त हो गया.
मैंने कहा- चाची लंड मुँह में लो ना.
उन्होंने कहा- उन्ह … मुझसे नहीं होगा … तू सीधे मेरी चूत ही चोद ले.

मैंने भी सोचा कि चलो पहली बार सीधे चूत ही चोदते हैं.

तो मैंने चाची को टेबल पर सीधा लिटा दिया और चूत पर लंड को सैट करके एक धक्का दे मारा. मेरा आधा लंड चूत में घुस गया.

मेरे दोस्त की मम्मी की सिसकारी निकल गई- अह्ह … मर गई … अम्म्म … सीईई. आह आशीष पूरे एक साल के बाद इस चूत ने लंड का स्वाद चखा है. आह तू मेरी प्यास बुझा दे. उन्ह … तू जो बोलेगा वो मैं करूंगी. मुझे कभी छोड़ कर मत जाना प्लीज. आह आशू चोद दे.
मैंने लंड पेलते हुए कहा- हां चाची कभी नहीं जाऊंगा …

मैं जोर जोर से चूत में लंड के धक्के देता रहा. वो भी ‘अहह सीईई … अह्ह … अम्म.’ करती रहीं.

फिर मैंने अपनी स्पीड काफी तेज कर दी और धकापेल चाची की चूत चोदने लगा. उनको काफी मजा आ रहा था. चाची ने अपनी दोनों टांगें हवा में उठा दी थीं और मेरे लंड को पूरा अन्दर तक ले रही थीं.

करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा कि मेरा काम तमाम होने वाला है.
तो मैंने कहा- चाची मेरा होने वाला है … रस कहां निकालूं?
उन्होंने कहा- अन्दर ही निकाल दे … बड़े दिनों बाद ही सही, पर मेरी चूत को शांति मिल जाएगी.

मैंने लगातार धक्के दस लगाकर चाची की चूत में पिचकारी छोड़ दी.

मुझे लगता है कि मैं अपने जीवन में सबसे ज्यादा देर तक इसी टाइम झड़ा था. मैं वैसे ही चाची के मम्मों के बीच सर रख कर ढेर हो गया. वो मेरे सर को सहलाती रहीं.

फिर मैं उठा और उनको भी उठाया. हम दोनों साथ ही नहाये. फिर उन्होंने खाना बनाया और हमने साथ में खाया.

दोस्त की मॉम ने कहा- अब से मैं तुम्हारी हूँ. जब चाहो, तुम आकर मुझे प्यार कर सकते हो. पर ये बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए.
मैंने कहा- किसी को भी ये बात पता नहीं चलेगी चाची. आप निश्चिन्त रहिए.

मैंने दोस्त की अम्मी को गले लगाया और किस किया और रात को फिर से घर आने का बोल कर मैं अपने घर आ गया.
इस तरह से मैंने दोस्त की माँ को चोदा.

मैंने घर पर बताया कि मुझे मेरे दोस्त के घर सोने जाना है, उनके मोहल्ले में बहुत चोरियां हो रही है. चाची अकेली ही घर पर हैं.
चाची ने भी मेरी मम्मी से बात करके मुझे भेजने की बात कह दी थी.
तो घर से अनुमति मिल गई.

फिर मैं अगले दो दिन उनके साथ ही रहा और बहुत मजा किया. उनको बहुत कुछ सिखाया भी … सीखा भी और आंटी की चूत की चुदाई का मजा भी किया. वो सब मैं अगली बार बताऊंगा.

आपके अच्छे कमेंट से मुझे आगे लिखने में प्रोत्साहन मिलेगा. मेरी इस हिंदी चुदाई कहानी ‘दोस्त की माँ को चोदा’ के लिए अपने विचार मुझे मेरी मेल आईडी पर जरूर भेजें … मुझे इन्तजार रहेगा.
rishimehta4466@gmail.com

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