धन्नो द हाट गर्ल – 1

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मेरा नाम धन्नो है। 20 साल की उमर में ही मेरे माँ बाप का एक दुर्घटना में मौत हो गई। मेरा इस दुनियां में माँ बाप के अलावा सिर्फ एक चाची थी। मैं उसी के साथ रहने लगी। मेरी चाची की उमर 38 साल है। उसका नाम सोनाली है और वो विधवा है। क्योंकी चाचा की मौत 4 साल पहले हो चुकी है, 38 साल की होने के बावजूद उनका फिगर अच्छा है, वो बिल्कुल गोरी है। उसकी दो बेटियां हैं, एक 20 साल की बिंदिया, वो मेरे साथ बी.ए. की स्टूडेंट है और दूसरी 19 साल की करुणा, वो दूसरे साल की स्टूडेंट है। मेरे चाचा एक बैंक मैनेजर थे। इसीलिए हमारा उनकी पेंशन से गुजारा हो जाता था। दोनों बेटियां अपनी माँ की तरह दोनों बिल्कुल गोरी हैं और मेरा रंग भी गोरा है।
एक दिन कालेज में मुझे सिर में दर्द हो गया। मैं बिंदिया को बताकर घर चली गई। घर का दरवाजा अंदर से बंद था। मैंने घंटी बजाई, कोई 5 मिनट के बाद आँटी ने दरवाजा खोला। आँटी के बाल बिखरे हुए थे।
मुझे देखकर चाची हैरानी से पूछी- “धन्नो इतनी जल्दी कैसे आ गई?”
मैंने कहा- “मेरे सिर में दर्द है…”
आँटी ने कहा- “चलो अपने कमरे में, मैं गोली लेकर आती हूँ…”
मेरे कमरे में पहुँचते ही मुझे कुछ आवाज सुनाई दी। मैं जल्दी से जाकर दरवाजे की पीछे खड़ी होकर देखने लगी। बाहर एक हैंडसम आदमी खड़ा था।
सोनाली- “जय जल्दी जाओ मेरी भांजी आ गई है…”
जय गुस्से में- “उस रंडी को भी अभी आना था, मैं रात को आऊँगा…” और आँटी के गुलाबी होंठों पे एक चुंबन जड़ दिया।
सोनाली- “अभी जाओ भी, किसी ने देख लिया तो अनर्थ हो जायगा…” और आँटी ने जय को धकेलते हुए बाहर निकल दिया।
मैं जल्दी से जाकर बेड पर लेट गई। आँटी गोली और पानी लेकर आई, वो मैंने खा ली।
आँटी ने कहा- “तुम आराम करो मुझे बहुत काम है…” और चली गई।
मैं सोचने लगी की यह जय कौन है? और आँटी का उससे क्या चक्कर है? मेरा सिर फट रहा था। मैंने फैसला किया की रात को मैं पता लगाऊँगी, और मैं नींद के आगोश में चली गई। जब मेरी आँख खुली तो बिंदिया और करुणा घर पर थी।
आँटी ने मुझे देखा और पूछा- “अब कैसी हो?”

मैंने कहा- “अब कुछ बेहतर हूँ…”
आँटी ने कहा- “चलो फ्रेश हो जाओ मैं खाना लगाती हूँ..”

मैं फ्रेश होकर वापस आई तो खाना टेबल पर लग चुका था। हम सभी ने खाना खाया और आपस में बातें करने लगे। कब दिन बीत गया पता ही नहीं चला और रात को पढ़ाई करने के बाद आँटी हमारे लिए दूध लेने गई। मैंने टायलेट के लिए बाथरूम की तरफ जाते हुए देखा की आँटी दूध में कुछ मिला रही हैं। मैं जल्दी से टायलेट करके अपने कमरे में चली गई। आँटी कमरे में दूध लेकर आ गई।
मैंने आँटी से कहा- “आप दूध रख दो, मैं पी लूंगी…”
आँटी ने कहा- “बेटा मैं जा रही हूँ, मगर दूध पी लेना…”
आँटी के जाने के बाद मैंने दूध उठाकर फेंक दिया। एक घंटे बाद आँटी कमरे में आई। मैं कंबल डालकर सोने का नाटक करने लगी। ऑटी मुझे सोता हुआ देखकर चली गई। जैसे-जैसे टाइम गुजरता जा रहा था मेरे दिल की धड़कनें तेज होती जा रही थीं। रात को 12:00 बजे दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैंने जल्दी से जाकर दरवाजे के की-होल से देखने की कोशिश की।
मेरा नशीब अच्छा था की बाहर तेज रोशनी थी। मैंने देखा की जय ने अंदर आते ही आँटी को बाहों में भर लिया और किसों की बौछार कर दी।
आँटी अपने आपको छुड़ाते हुए बोली- “मैं भागी थोड़ी जा रही हूँ कमरे में तो चलो…”
जय आँटी को गोद में उठाकर कमरे में चला गया। मैं आँटी के कमरे की तरफ गई। दरवाजा अंदर से बंद था मगर खिड़की थोड़ी खुली हुई थी। मैं थोड़ा साइड में होकर अंदर देखने लगी। जय ने आँटी के गुलाबी होंठों को चूसते हुए अपनी जुबान अंदर डाल दी जो आँटी बड़े मजे से चूसने लगी। जय ने आँटी की नाइटगाउन उतार दी। अब आँटी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। आँटी के 38डी की गोरी-गोरी चूचियां ब्रा फाड़कर बाहर आने को मचल रही थीं, और आँटी का गोरा जिम चमक रहा था।
जय ने आँटी की ब्रा के हुक खोल दिए। ब्रा के हुक खुलते ही जय गुलाबी निपलों पर टूट पड़ा। आँटी सिसक रही थी। जय कभी एक चूची चूसता तो कभी दूसरी।
यह सब देखकर मेरी हालत बिगड़ने लगी। मेरा हाथ खुद ही नीचे चला गया और पैंटी के ऊपर से अपनी चूत सहलाने लगी।
अब जय नीचे होता हुआ आँटी की पैंटी उतारने लगा। पैंटी उतारने के बाद जय आँटी की गुलाबी और कोरी चूत को चूमते हुए अपने हाथों से चूत के दोनों होंठों को अलग करके अपनी जुबान लाल हिस्से में डाल दी। आँटी मजे की जन्नत में डूब गई। जय अपनी पूरी जुबान बहुत तेजी से अंदर-बाहर कर रहा था।

मेरा हाथ भी अब तेज हो चुका था।
अचानक आँटी बहुत जोर से चीखी- “जय मैं आई..”
जय का पूरा चेहरा पानी से भीग गया। वो पानी जय बड़े मजे से चाट रहा था।
यह सब देखकर मेरे होंठ खुश्क हो गये और मैं मजे और लज्जत से बेहोश होने लगी। दो मिनट बाद मुझे होश आया, मेरा हाथ और पैंटी गीले हो चुके थे। यह मेरा पहला ओर्गेज्म था। मैंने फिर अंदर देखा।
जय अपनी पैंट और शर्ट उतार चुका था। उसके अंडरवेर में तंबू बना हुआ था। मैंने अपनी सहेलियों से सुना था की मर्द शादी के बाद अपने लण्ड से औरत को चोदता है। आँटी ने जय का अंडरवेर उतारा और एक बहुत लंबा और मोटा लण्ड जो बिल्कुल गोरा था, उछलकर आँटी के मुँह के सामने आ गया। आँटी लण्ड की ऊपर वाली चमड़ी अलग करके गुलाबी टोपे को चूसने लगी। आँटी के चूसने से लण्ड और बड़ा होता गया। आँटी अपने कोमल हाथों से लण्ड को आगे-पीछे कर रही थी और टोपा चूस रही थी। आँटी के दोनों हाथों में वो लण्ड बड़ी मुश्किल से आ रहा था।
मैं यह देखकर फिर से गरम हो गई और अपनी चूत सहलाने लगी।

जय ने आँटी के मुँह से लण्ड निकालकर सीधा लेटाया। उसके नरम दूध चाटते हुए आँटी की टाँगें अपने कंधों पर रख ली। जय अपना लण्ड आँटी की चूत पर रगड़ने लगा। आँटी अब बहुत तेज सिसक रही थी और अपने गोरे और मोटे चूतड़ उछाल रही थी।
सोनाली- “जय अब डाल भी दो, अब बर्दाश्त नहीं होता…”
जय ने यह सुनते ही अपने लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर एक जोर का झटका मारा। जय का पूरा लण्ड आँटी की चूत में था और फिर से सारा बाहर निकालकर अंदर डाल देता और ऐसे ही जय धक्के मारने लगा।
आँटी बोली- “ओईईई ऐसे ही मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है…”
अब जय आँटी को धक्के लगाते हुए चूचियां भी चूस रहा था।
पांच मिनट बाद आँटी चीखी- “जय मैं आ रही हूँ जोर-जोर से धक्के लगाओ…”
जय अब बहुत तेज धक्के मारने लगा।
आँटी- “हाँ ऐसे ही जय, आई लव यू…” और आँटी की चूत से पानी बहने लगा।
जय ने दो मिनट बाद आँटी को उल्टा कुतिया की तरह लेटाया और अपना लण्ड पीछे से आँटी की चूत में डाल दिया, और धक्के लगाते हुए एक उंगली थूक से गीली करके आँटी की गाण्ड में डाल दी।

आँटी उछल पड़ी- “जय यह क्या कर रहे हो? पीछे मत करो दर्द होता है..”
जय ने अपनी स्पीड तेज कर दी। आँटी अब जोर-जोर से सिसक रही थी। जय ने दूसरी उंगली भी आँटी की गाण्ड में डाल दी। आँटी थोड़ा उछली मगर तेज धक्कों की वजह से वो मजे में डूबी हुई थी।
अचानक आँटी चिल्लाने लगी- “मैं आईइ..” और आँटी फिर से झड़ने लगी।
उधर मैं भी लज्जत की गहराइयों में चली गई।
जय ने मौका देखकर ढेर सारा थूक अपने लण्ड और आँटी की गाण्ड पे लगाया इससे पहले आँटी कुछ समझती, जय ने एक जोर का धक्का मार दिया। आँटी जोर से चील्लाई ‘अह्ह… मर गई’ और झटपटाने लगी। मगर जय ने उसे कसकर पकड़ रखा था। जय का आधा लण्ड आँटी की गाण्ड में था।
आँटी की आँखों से आँसू निकल रहे थे, और वो जय को गाली देते हुए कह रह थी- “कुत्ते कमीने… चूत से पेट नहीं भरा जो मेरी गाण्ड फाड़ दी…”
जय गाली सुनकर गुस्से में आकर आँटी के मुँह को हाथों से बंद करके एक और जोरदार धक्का मार दिया और लण्ड आँटी की गाण्ड में जड़ तक घुस गया और खून के फौव्वारे बहने लगे। आँटी की पूँ-हूँ की आवाज आने लगी। मगर जय अब एक जानवर बन चुका था।

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