सोनाली का सपना 1

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जय के बास आकाश के साथ सोनाली जय के जाने के बाद आकाश के बारे में सोचने लगी, जय ने उसे आकाश के बारे में कुछ भी नहीं बताया था। यह आकाश पता नहीं किस उमर का होगा? और उसका लण्ड पता नहीं कैसा होगा? और उसकी शकल ना जाने कैसी होगी? यह सोचते हुए सोनाली नींद के आगोश में चली गई।
दूसरी रात को 12:00 दरवाजा खटकने की आवाज आई। सोनाली जल्दी से उठकर दरवाजा खोलने गई। उसने आज अपने आपको बहुत अच्छे तरीके से मेकअप किया था और बिल्कुल नये कपड़े पहने थे। वो आज बेहद खूबसूरत लग रही थी। दरवाजा खोलते ही उसका मुँह हैरत से फटा रह गया। जय के साथ एक 55 साल का बूढ़ा जिसकी लंबाई कोई 5’5″ इंच और उसका चेहरा बिल्कुल काला था, खड़ा था।
जय ने कहा- “यह मेरा बास आकाश है इसकी अच्छे तरीके से खातिरदारी करना, मैं चलता हूँ…”
वो बूढ़ा सोनाली को ऊपर से नीचे तक बहुत गौर से घूर रहा था, जैसे सोनाली उसके सामने नंगी खड़ी है, और आगे बढ़कर सोनाली का हाथ पकड़कर अंदर कमरे में ले जाने लगा।
सोनाली किसी बुत की तरह उसके साथ अंदर जाने लगी। कमरे में पहुँचते ही उस बूढ़े ने सोनाली के कोमल होंठों पे अपने काले होंठ रख दिए। वो सोनाली के होंठों को पूरा अपने मुँह में लेकर चूस रहा था। सोनाली थोड़ा गरम होने लगी और अपना हाथ उस बूढे के सिर में डालकर सहलाने लगी। बूढ़े ने अपनी जुबान सोनाली के मुँह में। डाल दी और अपने हाथ सोनाली की बड़ी-बड़ी छातियों पे रखकर दबाने लगा।
सोनाली की मुँह से आह्ह्ह’ निकल गई। सोनाली बूढ़े की जुबान को पकड़कर चाटने लगी।
अब वो बूढ़ा सोनाली की कमीज निकालने लगा। सोनाली ने अपनी बाहों को ऊपर उठा लिया। बूढ़ा कमीज उतारते ही सोनाली के गोरे बदन और बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर लार टपकाने लगा, और कहने लगा- “जय ने तो बहुत मस्त माल फँसाकर रखा है.”
सोनाली की बड़ी-बड़ी चूचियों को ब्रा भी पूरा ढक नहीं पा रही थी। बूढ़े ने आगे बढ़कर ब्रा के ऊपर से ही चूचियों के बीच में अपना मुँह रख लिया और अपने हाथ पीछे लेजाकर ब्रा के हुक खोल दिए। ब्रा के हटते ही सोनाली की बड़ी-बड़ी चूचियां लटकने लगी। बूढ़े ने सोनाली की एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और बड़े जोर से चूसने लगा, और उसे अपने दाँतों से काटने लगा।
आँटी के मुँह से हल्की चीख निकल गई- “ऊऊईई… इतने जोर से मत करो दर्द हो रहा है…”

वो बूढ़ा आँटी की बात को अनसुना करते हुए उसकी चूचियों को बारी-बारी बड़े जोर से चूसने लगा। आँटी के मुँह से सिसकियां निकलती रही। बूढ़ा अपना मुँह सोनाली की चूचियों से हटाते हुए नीचे जाने लगा और आँटी की सलवार खोलकर कच्छी के ऊपर से ही उसकी चूत पे अपना मुँह रखकर चाटने लगा, और अपने हाथ उसकी कच्छी में डालकर उसे उतार दिया।
सोनाली की गोरी चूत और उसकी चूत के गुलाबी होंठ देखकर बूढ़े के मुँह से लार टपकने लगी। उसने आज तक इतनी गोरी और सुंदर औरत को नहीं चोदा था। उसने आँटी को सीधा लेटाकर उसकी टाँगों को चौड़ा किया और अपना मुँह उसकी चूत के दाने पे रखकर उसे चूसने लगा। सोनाली की तेज सिसकियां निकलने लगी।
अचानक उस बूढ़े ने उसके दाने को चूसते हुए उसकी चूत में अपनी एक उंगली घुसा दी, और उसे आगे-पीछे करने लगा। आँटी की टाँगें अपने आप चौड़ी होने लगी। बूढ़े ने अपनी उंगली सोनाली की चूत से निकाली और अपने मुँह में लेकर उसका रस चाटने लगा और फिर से उंगली उसकी चूत में डालकर उसे सोनाली के मुँह के पास ले गया और कहा- “साली अपनी चूत का स्वाद चख, बहुत ही टेस्टी है…”
सोनाली ने अपना मुँह खोल दिया और अपनी चूत का रस चाटने लगी।
बूढ़ा फिर नीचे जाकर उसकी चूत को चाटने लगा, और अपनी जीभ निकालकर सोनाली की चूत के दाने को चाटते हुए अपनी जुबान उसकी चूत के गुलाबी होंठों पे रख ली और उसे पूरा अपने मुँह में लेकर चाटने लगा। बूढ़ा चूत के होंठ चाटते हुए अपनी जीभ सोनाली के गाण्ड के सुराख तक लेजाकर चाटने लगता। सोनाली अब जोर से सिसकते हुए कह रही थी- “ऊऊहह.. हाँ ऐसे ही करो बहुत मजा आ रहा है…”
बूढ़ा अब सोनाली की पूरी गाण्ड को अपने मुँह में लेकर चाट रहा था, और अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। सोनाली अपनी मंजिल के बहुत करीब थी। वो अपने चूतड़ ऊपर उठा रही थी। बूढे ने अपनी उंगलियां निकालकर अपनी जीभ को कड़ा किया और उसे सोनाली की चूत में अंदर डाल दिया। बूढ़े की जीभ बहुत बड़ी थी। वो उसके बहुत अंदर तक जा रही थी। सोनाली का बदन अकड़ने लगा और उसने बूढ़े के सिर को पकड़ लिया और अपनी चूत पे दबाने लगी। बूढ़े ने जीभ को अंदर-बाहर करते हुए अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डाल दी।
आँटी की बर्दाश्त की सीमा टूट गई और वो- “ऊऊऊईईई… मैं आई..” कहते हुए बूढ़े के मुँह में झड़ने लगी।

बूढ़ा उसकी सारी मनी चाटने लगा और उसकी सारी चूत ऊपर से नीचे तक चाटते हुए साफ कर दिया। आँटी ने बूढ़े को बेड पर पटक दिया और उसके सारे कपड़े निकालने लगी, चड्ढी उतारते ही आँटी का मुँह फटा रह गया, एक पतला और छोटा काला लण्ड उसकी आँखों के सामने था।
आँटी को बहुत गुस्सा आया। मगर जय के प्रमोशन का सोचते हुए कुछ ना बोली और मन ही मन में सोचने लगी- “साला हरामी बूढ़ा इतनी छोटी सी लुली लेकर भी लड़कियों के शौक रखता है…”
बूढ़े ने आगे बढ़कर सोनाली को अपने नीचे दबोच लिया और अपनी लुली उसके मुँह में घुसाने लगा। सोनाली को उसकी लुली से बहुत बदबू आ रही थी।

आँटी ने अपना मुँह जोर से बंद कर दिया और कहा- “मैं इसे नहीं चाहूँगी तुम इसे नीचे घुसाकर अपना काम करो…”
बूढ़े ने गुस्से से कहा- “रंडी अपनी चूत मुझसे चटवाती हो और मेरा लण्ड लेने में नखरे करती हो..” और अपने अपना हाथ से सोनाली की चूची को मसल दिया।
सोनाली के मुँह से चीख निकली और उसका मुँह खुल गया। बूढ़े ने अपना लण्ड उसके मुँह में घुसा दिया और मुँह में लण्ड घुसते ही बूढ़ा काँपने लगा और सोनाली के मुँह में फुस्स हो गया। सोनाली के मुँह से उसका पानी नीचे गिरने लगा। सोनाली ने उसका लण्ड अपने मुँह से निकाला और उसका सारा पानी थूकते हुए बाहर फेंक दिया, और जोर से हँसने लगी।
सोनाली ने कहा- “साले बूढ़े इतना छोटा लण्ड लेकर फिरते हो और लड़कियों का शौक रखते हो, लड़कियों को बड़ा और तगड़ा लण्ड चाहिये, तुम्हारे जैसी लुली नहीं…” बूढ़े ने एक जोर का चांटा सोनाली को मारा तो उसके मुँह से चीख निकल गई और वो चौंक कर नींद से उठ गई। उसका सारा जिश्म पशीने में भीगा हुआ था।
सोनाली ने उठते हुए एक पानी का गिलास पिया और सपने के बारे में सोचकर मुश्कुराने लगी। अभी तो सुबह के 7:00 बजे थे। सोनाली उठकर नहाने चली गई। उसने बाथरूम में आकर अपने कपड़े उतारे और अपने आपको निहारने लगी। वो सपना देखकर बहुत गर्म हो गई थी, उसने शावर ओन किया और ठंडा पानी अपने-अपने जिश्म पर गिरते ही उसे कुछ सुकून मिला।

* * * * * * * * * * सोनाली का सपना समाप्त

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