सोनाली, आकाश और जय का थ्री-सम

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सोनाली ने आकाश को फोन किया- “हेलो मैं सोनाली बात कर रही हूँ…”
आकाश- हाँ डार्लिंग क्या हाल है, मैं भी तुम्हें ही याद कर रहा था।
सोनाली- आपकी बहुत याद आ रही है आप जय से कहकर आज भी आ जाओ।
आकाश खुश होते हुए- “डार्लिंग, मैं अभी जय से बात करता हूँ, तुम सच में बहुत गरम माल हो…”
थोड़ी देर बाद सोनाली के मोबाइल पर जय का फोन आया। जय ने कहा- “सोनाली आकाश सर, आज फिर से आने को कह रहे हैं। उसे तुम बहुत पसंद आ गई हो…”
सोनाली ने नाटक करते हुए कहा- “जय मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ जैसा तुम्हें अच्छा लगे…”
जय- “आज मेरा भी बहुत मूड है। आकाश सर के साथ मैं भी आ जाता हूँ…”
सोनाली यह बात सुनकर बहुत गर्म हो गई। आज उसे दो लण्ड मिलने वाले थे। सोनाली नहाने चली गई और फ्रेश होकर अपने जिश्म पर बाडी स्प्रे किया और कपड़े पहनकर उन दोनों का इंतेजार करने लगी। कुछ देर बाद दरवाजे की आवाज सुनकर सोनाली ने जाकर दरवाजा खोला और उन दोनों को अपने कमरे में ले आई।।
आकाश ने सोफे पर बैठते हुए कहा- “आज मैं तुम दोनों की चुदाई देखना चाहता हूँ..”
जय ने आगे बढ़कर सोनाली की कमीज उतार दी। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लैक ब्रा में चमक रही थी। सोनाली पहले से ही बहुत गरम थी। उसने जय की शर्ट उतार दी और पैंट का बेल्ट खोलकर उसे भी नीचे गिरा दिया। जय ने अपने होंठ सोनाली के होंठों पर रखे और उसका नीचे वाला होंठ चूसने लगा। आकाश बेड पर बैठा उन दोनों का खेल देख रहा। जय ने सोनाली के होंठ चूसते हुए अपने हाथों से उसकी ब्रा उतार दी। जय सोनाली की बड़ी-बड़ी चूचियां देखकर पगला गया और उसकी चूचियों को बड़े जोर से चूसते हुए अपने दाँतों से उसे काटने लगा। सोनाली के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।

जय नीचे होता हुआ सोनाली की सलवार नीचे करते हुए उसकी पैंटी भी उतार दी, और अपने मुँह से अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत चाटने लगा।
सोनाली मजे से ‘आह्ह्ह’ करने लगी। वो बहुत गर्म हो गई थी। सोनाली से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने जय को नीचे गिराया और खुद उसके ऊपर अपनी दोनों टाँगें फैलाकर बैठ गई और अपने चूतड़ जय के अंडरवेर के ऊपर से ही लण्ड पर रगड़ने लगी। जय मजे से पागल हो रहा था। उसने सोनाली की एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और जोर से काटने लगा।
सोनाली के मुँह से एक चीख निकल गई- “ओईई… आह्ह्ह…” और उसने नीचे होते हुए जय का अंडरवेर उतार दिया और अपनी जीभ निकालकर उसका लण्ड गीला किया और अपनी चूत उसपर रखकर नीचे बैठ गई। जय का पूरा लण्ड सोनाली की चूत में घुस गया और उसके मुँह से मजे से सिसकी निकल गई। सोनाली ने जय का पूरा लण्ड अपनी चूत में लिए हुए उसे अपनी गहराइयों तक महसूस करने लगी। वो अपने चूतड़ हिलाकर जय के लण्ड को अपनी चूत के अंदर दाएं और बाएं फिराने लगी।
जय मजे के मारे सोनाली की चूचियों को मसलने लगा। सोनाली अब अपने चूतड़ उठाकर धक्के लगाने लगी और उसने अपनी जीभ निकालकर जय के मुँह में डाल दी। जय उसकी जीभ चाटता हुआ नीचे से धक्के लगाने लगा। सोनाली अब झड़ने वाली थी। वो अपने चूतड़ बहुत तेजी से ऊपर-नीचे करते हुए ‘आअह्हह’ के साथ झड़ने लगी और शांत होकर जय के सीने पर लेट गई।
आकाश भी यह सब देखकर गरम हो गया था और अपनी पैंट और अंडरवेर उतारकर अपने हाथों से लण्ड सहला रहा था।
जय ने सोनाली को उल्टा किया और अपना लण्ड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया। जय सोनाली को पीछे से बहुत जोर से चोद रहा था। हर धक्के के साथ जय के आंडे सोनाली की गाण्ड से टकरा रहे थे। अब सोनाली भी गर्म होने लगी और अपने चूतड़ों को आगे-पीछे करने लगी।

आकाश सोनाली की लटकती बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रहा था जो हर धक्के के साथ आगे-पीछे हिल रही थी। आकाश आगे बढ़ा और बेड पर लेटकर सोनाली की चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा।
अचानक जय ने अपना लण्ड सोनाली की चूत से निकालकर गाण्ड में डाल दिया।
सोनाली ने तड़पते हुए कहा- “ओहह… जय तुम सुधरोगे नहीं…”
जय का आधा लण्ड उसकी गाण्ड में था। वो आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। थोड़ी देर बाद सोनाली को भी मजा आने लगा और वो अपनी गाण्ड को पीछे धकेलते हुए लण्ड पर दबाने लगी। जय धक्के लगाते हुए एक । धक्का तेज लगा देता और लण्ड थोड़ा और अंदर हो जाता। ऐसा करते हुए उसने अपना पूरा लण्ड सोनाली की गाण्ड में डाल दिया और बहुत जोर के धक्के मारता हुआ उसकी गाण्ड में पिचकारी छोड़ दी। सोनाली की गाण्ड वीर्य से भर गई। जय का लण्ड सिकुड़कर बाहर आ गया और वीर्य की बूंदें सोनाली की गाण्ड से निकलकर बेड पर गिरने लगी।
जय उठकर बाथरूम चला गया और सोनाली ने अपनी गाण्ड को तौलिये से साफ किया। मगर उसकी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी। वो बेड पर लेट गई और आकाश के लण्ड को देखकर फिर से गर्म हो गई। आकाश भी इतनी देर से यह सब देखकर बहुत गर्म हो गया था। वो सोनाली के होंठों को चूसने लगा और अपने हाथों से उसकी छातियों को जोर से मीसने लगा।
सोनाली दर्द से चिल्ला उठी- “ओईई… धीरे दबाओ…” और अपने हाथ से आकाश के लण्ड को मुठ्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी।
आकाश नीचे होता हुआ सोनाली की टाँगों को उठा लिया और उनको घुटनों तक मोड़कर अपना पूरा लण्ड एक ही। झटके में उसकी चूत में पेल दिया।
सोनाली- “ओह… आकाश तुम्हारा लण्ड कितना बड़ा और मोटा है, मेरी चूत को बहुत अच्छा लग रहा है। डार्लिंग अब जोर से इसे चोदो और फाड़ दो इसे…” सोनाली मजे लेते हुए बोली।
आकाश ने अपना लण्ड पीछे खींचा और एक जोर का धक्का मारकर पूरा अंदर डाल दिया।
सोनाली- “हाँ हाँ ऐसे ही चोदो जोर से..” सोनाली के मुँह से सिसकारी भरी आवाजें निकल रही थी।
आकाश ने पूरे जोर से उसकी चुदाई शुरू कर दी।
सोनाली भी अपने चूतड़ उछालकर ताल से ताल मिला रही थी। उसकी साँसे मजे के मारे उखड़ रही थी- “ओहह… आकाश जोर से जल्दी-जल्दी डालो। मैं अब झड़ने वाली हूँ…” इतना कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

आकाश तब तक तेज धक्के लगाता रहा जब तक सोनाली पूरी झड़कर शांत नहीं हो गई। आकाश अपना लण्ड उसकी चूत में डाले उसके ऊपर लेट गया और अपनी जीभ निकलकर उसके मुँह में डाल दी, जो सोनाली बड़े मजे से चूसने लगी।
कुछ देर बाद आकाश ने सोनाली से कहा- “मुझे वैसेलीन लाकर दो…”
सोनाली ने चौंकते हुए कहा- “क्यों क्या हुआ?”
आकाश ने कहा- “मुझे तुम्हारी गाण्ड मारनी है…”
सोनाली का मुँह फटा रह गया, और कहा- “आकाश तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है, मेरी गाण्ड फट जाएगी…”
आकाश- “कुछ नहीं होगा तुम्हें मुझपर भरोसा है ना? मैं आराम से डालूंगा…”

सोनाली उठकर वैसेलीन ले आई। आकाश ने सोनाली को उल्टा लेटाया और और वैसेलीन से एक उंगली चिकनी करके उसकी गाण्ड में अंदर तक फिराने लगा। ऐसा दो तीन बार करने के बाद जब उसे तसल्ली हो गई की। गाण्ड चिकनी हो गई है तो उसने वैसेलीन से अपना लण्ड चिकना किया और उसकी गाण्ड पर रखकर जोर लगाया, तो उसके लण्ड का टोपा अंदर चला गया। सोनाली के मुँह से ‘आह’ निकल गई। आकाश ने एक और धक्का मारा, तो उसका आधा लण्ड उसकी गाण्ड में घुस गया।
सोनाली दर्द के मारे चिल्ला उठी- “ओईई… ओह… आकाश दर्द हो रहा है, बाहर निकालो…”
आकाश ने उसकी ना सुनते हुये अपने आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। थोड़ी देर बाद सोनाली का भी दर्द खत्म हो गया और वो मजे से अपनी गाण्ड मरवाने लगी। आकाश ने जब देखा सोनाली का दर्द खत्म हो गया है। तो उसने अपना लण्ड बाहर निकालकर एक जोर का धक्का मार दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी जड़ तक घुसा दिया।
सोनाली- “ओईई… मर गई… मेरी गाण्ड फट गई…” और छटपटाने लगी।
आकाश ने उसे जोर से पकड़ रखा था। कुछ देर बाद सोनाली कुछ शांत हुई तो आकाश उसे हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। सोनाली के मुँह से अब हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी। आकाश ने धक्के लगाते हुए सोनाली के चूतड़ों पे थप्पड़ मारने लगा। अब सोनाली को भी मजा आने लगा और वो अपने चूतड़ हिलाकर अपनी गाण्ड मरवाने लगी। आकाश सोनाली की गाण्ड मारते हुए अपनी उंगलियों से उसकी चूत मसलने लगा। सोनाली का दर्द बिल्कुल गायब हो चुका था, उसे अपनी गाण्ड में आकाश का लण्ड बहुत मजा दे रहा था।
सोनाली अब जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी- “आकाश तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है। मुझे बहुत मजा आ रहा है। ऐसे ही मेरी गाण्ड मारते रहो…”

जय कब से यह सब देखकर फिर से गरम हो गया था। उसने आकाश को कहा- “आज आपको जिंदगी का सबसे अनोखा मजा देता हूँ…” कहकर जय बेड पर आकर लेट गया और आकाश को सोनाली की गाण्ड से लण्ड निकालने को कहा और सोनाली को अपने खड़े लण्ड पर चूत रखकर बिठा दिया। उसका लण्ड सोनाली की चूत में घुस गया।
जय ने सोनाली को नीचे झुका दिया और उसकी चूचियां चाटते हुए आकाश को कहा- “सर, अब आप इसकी गाण्ड मारो…”
सोनाली यह सब सुनकर बहुत उत्तेजित हो गई। वो आज जिंदगी का सबसे अनोखा और भयानक मजा लेने वाली थी। आकाश ने सोनाली के पीछे से अपना लण्ड अपनी थूक से गीला किया और उसकी गाण्ड पर रखकर धक्का लगाया। उसका आधा लण्ड गाण्ड में घुस गया।
सोनाली के मुँह से चीख निकल गई- “ओईई… मार डाला…”

आकाश आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। उसका लण्ड बहुत तकलीफ के साथ अंदर-बाहर हो रहा था, आकाश ने एक जोर का धक्का मारा और उसका लण्ड सोनाली की गाण्ड में जड़ तक घुस गया और वो फिर से चिल्ला उठी- “आहह…”
आकाश को जय का लण्ड अपने लण्ड पर महसूस हो रहा था। अब जय और आकाश दोनों धक्के लगाने लगे। आकाश अपना लण्ड बाहर करता तो जय अंदर कर देता और सोनाली को अपने दोनों छेदों में लण्ड अंदर-बाहर होते हुए बहुत अच्छा लग रहा था।
सोनाली अब सिसकते हुए- “आकाश, हाँ ऐसे ही मुझे चोदते रहो, मैं झड़ने वाली हूँ..”
आकाश और जय अब पूरी ताकत से उसे चोदने लगे। सोनाली आअह्ह्ह के साथ झड़ने लगी और उसके साथ आकाश और जय भी हाँफते हुए झड़ने लगे। सोनाली को अपने दोनों छेदों में पानी गिरता महसूस हुआ और तीनों निढाल होकर बेड पर लेट गये। कुछ देर बाद जय और आकाश चले गये। सोनाली दरवाजा बंद करके सो गई।

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