भाभी ने एक गहरे भूरे रंग की साड़ी पहनी थी!

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ट्रेन में चुदाई की कहानी में पढ़ें कि कैसे मुझे चलती रेलगाड़ी में गर्म भाभी की चुत चुदाई करने का अवसर मिला. मैंने भाभी के साथ क्या किया. मजा लें इस सेक्स कहानी का!

एक बार होली के दिन रेलगाड़ी के सफर में एक भाभी से मुलाकात हुई. और मैंने भाभी के साथ क्या किया. इसका मजा इस सेक्स कहानी में लें.

नमस्कार दोस्तो. मैं प्रेम आनन्द बिहार का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 28 साल है, रंग गेहुंआ और शरीर ठीक-ठाक है. मैं शक्ल से एक औसत दिखने वाला व्यक्ति हूँ.

मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. अन्तर्वासना पर कई लोगों की आपबीती के रूप में गर्मागर्म सेक्स कहानियां पढ़कर मैं भी गर्म हो गया. अपनी उसी गर्माहट भरी सेक्स कहानी को मैं आज आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ.

ये मेरी पहली सेक्स कहानी है, इसलिए अगर कोई गलती हो जाए तो प्लीज नजरअंदाज कर दीजिएगा.

दिल्ली में मेरे पापा का लकड़ी का कारोबार है.
कुछ साल पहले की बात है. रात में पापा का फोन आया था कि दिल्ली में काम का कुछ ज्यादा लोड हो गया है. जल्द ही मुझे दिल्ली आना होगा.

इस वजह से मुझे अर्जेंटली होली के दिन ही ट्रेन पकड़ना पड़ा. मैं दानापुर से आनन्द विहार जनसाधारण एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहा था. ये ट्रेन कोई स्पेशल ट्रेन थी, जो अभी ही चली थी और इसका किसी को मालूम ही नहीं था. जैसा कि मैंने पहले ही आप लोगों को बताया कि ये वाकिया होली के अवसर का था. मैं होली के दिन ही दिल्ली जा रहा था.

दोपहर को तकरीबन ढाई 3:00 बजे ट्रेन आकर स्टेशन पर लगी. जल्दीबाजी में मैंने आरक्षण नहीं करवाया था, इसलिए मैं एक अच्छी जगह देखकर ट्रेन में खिड़की वाली सीट पर बैठ गया. ट्रेन चलने से दस मिनट पहले एक अच्छी खासी मस्त भाभी मेरे सामने वाली खिड़की के पास बैठ गईं.

उन भाभी को देखने से लगता था कि उनकी उम्र 30-32 साल की रही होगी. भाभी का रंग गोरा था और उनके मस्त फिगर का नाप यही कोई 32-28-34 का था. भाभी ने एक गहरे भूरे रंग की साड़ी पहनी थी. जिसमें उनका गोरा बदन और भी मदमस्त लग रहा था.

ट्रेन की जिस बोगी मैं बैठा था, उसमें सिर्फ मैं और वो औरत ही थे. होली के दिन होने की वजह से पूरी ट्रेन लगभग खाली थी.

ट्रेन के चलने के कुछ देर बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि आप कहां तक जाओगे?
मैंने कहा- दिल्ली तक … और आप?
वो बोलीं- गाजियाबाद में मेरी ननद रहती है … उसको बच्चा होने वाला है. वो बाइक से गिर गई है. उसी के पास जा रही हूँ. वो हस्पताल में है. मेरा बेटा अभी छोटा है इसलिए उसे मैं अपनी सास के पास छोड़ आई हूँ … और पति विदेश में सर्विस करते हैं … इसीलिए मैं अकेली ही जा रही हूँ.

एक ही सांस में भाभी अपनी राम कहानी मुझे सुना दी. मैं अपलक उनकी तरफ देख रहा था. मुझे उनकी आंखों में अजीब सी कशिश दिख रही थी, जो मुझे मोहित किए जा रही थी.

हम दोनों में काफी देर बातें होती रहीं. भाभी भी मेरी तरफ से बिल्कुल बिंदास हो गई थीं और खुल कर बातचीत कर रही थीं.

यूं ही बातें होते होते रात के 10:00 बज गए. मुझे अब हल्की ठंड लग रही थी, तो मैंने अपने बैग से चादर निकाल कर ओढ़ ली.

थोड़ी देर बाद भाभी भी कहने लगीं- मुझे भी अपने चादर में ले लो, मुझे भी ठंड लग रही है.

पहले तो मैं सोचने लगा कि काम चित्त होने की स्थिति हो रही है. फिर मैंने उनको अपनी सीट पर बुला लिया और हम दोनों एक ही चादर में हो गए. भाभी मेरे कंधे पर अपना सर रख कर सोने लगीं. जैसे ही उन्होंने मेरे कंधे पर सर रख कर आंखें बंद की. मुझे एक अजीब सी सिहरन होने लगी थी.

भाभी को सोये हुए थोड़ी देर ही हुई होगी कि मुझे मस्त सी फीलिंग होने लगी. मेरे शरीर से भाभी का गर्म शरीर रगड़ रहा था. ये मस्त अहसास मुझे गर्म कर रहा था.

तभी उन्होंने कहा- मैं पैर फैला कर सोना चाहती हूँ. तुम्हारी जांघ पर अपना सर रख कर लेट जाऊं?
मैंने हां कर दिया.

थोड़ी देर तक भाभी के इसी पोजीशन में सोने से मेरी तो हालत खराब होने लगी थी. किसी अनजान औरत का संपर्क पाकर मेरा लंड अपने पैन्ट में ही फुंफकार मारने लगा था.

इसी बीच किसी स्टेशन पर ट्रेन रुकी और एक चाय वाला चाय की पूछता हुआ आया.
मैंने उससे एक कप चाय ली और भाभी को भी चाय की पूछने के लिए जगाया- भाभी, आप चाय पियोगी?

उनका कोई उत्तर नहीं मिला तो मुझे ऐसा महसूस हुआ, जैसे वो गहरी नींद में सो रही हों.
मैंने दुबारा उनसे नहीं पूछा.

मैं अपनी चाय को खत्म करने लगा. तभी गाड़ी चल दी. भाभी यूं ही मस्ती से सोई हुई थीं और मेरा हाथ एक हाथ उनके सर पर और दूसरा हाथ उनकी बाजू पर था. मुझे सनसनी हो रही थी.

फिर थोड़ी हिम्मत करके मैंने अपना हाथ सरका कर उनके सीने को टच किया. तो भाभी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. फिर मैंने थोड़ी और हिम्मत करके उनके मम्मों पर हाथ घुमा दिया. भाभी अब भी मस्ती से घोड़े बेच कर सो रही थीं.

मैंने थोड़ी देर उनकी चूचियों पर हाथ घुमाया. जब उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो मैंने उनके एक दूध को थोड़ा जोर से दबा दिया. मगर अब भी कुछ नहीं हुआ.

इसी प्रकार जब उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, तो मैंने एक हाथ उनके ब्लाउज में घुसा दिया और दूसरे हाथ से उनकी चुत को साड़ी के ऊपर से ही सहलाने लगा.

थोड़ी देर बाद भाभी की सांसें भारी होने लगीं, तो मैं समझ गया कि यह सोने का नाटक कर रही हैं. ये समझते ही मेरा मनोबल और बढ़ गया.

थोड़ी देर बाद भाभी ने मेरा हाथ अपने ब्लाउज से निकाल कर हटा दिया और धीरे से बोलीं- ये क्या कर रहे हो तुम?

उनकी इस अचानक हुई प्रतिक्रिया से मैं तो एकदम से डर गया और उनसे अलग हो गया. ट्रेन में चुदाई की कहानी बनते बनते रह गयी.

वो भी उठ कर बैठ गई थीं.
थोड़ी देर यूँ ही अलग बैठने के बाद भाभी ने मुझसे पानी की बोतल मांगी. मैंने उन्हें पानी की बोतल दे दी और उन्होंने पानी पी कर बोतल वापस दे दी.

फिर वो बोलीं- मुझे नींद आ रही है, मुझे सोने दो … हरकतें मत करो.
मैं थोड़ा डर गया.

अब मैं भी खिड़की से से सर लगा कर सोने लगा. वो फिर से मेरी जांघ पर सर रखकर सो गईं, लेकिन मेरे लंड महराज पुनः फनफनाने लगे. अब मेरे कंट्रोल से बाहर हो रहा था.

थोड़ी देर बाद वो कहने लगीं- आपके पैन्ट से मुझे कुछ चुभ रहा है.
भाभी ने अपने हाथ से लंड पकड़ कर कहा- ये पैन्ट में क्या रखे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं है … उस पर आप मेरा मफलर डाल दो और आप आराम से सो जाओ.

थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि मेरे लंड के साथ कुछ हरकत हो रही है. भाभी अपने एक हाथ को अपने सर के नीचे दबा कर सो रही थीं और दूसरे हाथ से मेरे लंड का मुआयना कर रही थीं.

मैंने कहा- भाभी आपको कुछ चाहिए क्या?
उन्होंने ना कह दिया.
फिर उन्होंने धीमे से कहा- आपका बहुत बड़ा है.
मैंने पूछा- क्या?
उन्होंने लंड मसलते हुए कहा- ये … जो मुझे चुभ रहा है.
मैंने उनकी चुदास समझते हुए कहा- आप इसका दर्शन करोगी?

इस पर उन्होंने कुछ नहीं बोला.

थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि वह मेरी पैन्ट की चैन खोल रही थीं. मैं सोने का नाटक करने लगा. भाभी ने मेरी पैन्ट की जिप खोलकर चड्डी से लंड निकाल लिया और उसे सहलाने लगीं. लंड बड़ा होने लगा.

थोड़ी देर बाद भाभी ने लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं. मेरे मुँह से मीठी-मीठी ‘आ..ह..’ निकलने लगी.

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