सोनाली के कमरे में रोहन ने आज फिर हम दोनों को घर तक छोड़ दिया। मगर आज सोनाली आँटी ने रोहन को देख लिया और पूछा- “यह कौन है?”
बिंदिया ने कहा- “यह मेरा दोस्त है मेरे साथ कालेज में पढ़ता है और बहुत इंटेलीजेंट है पढ़ाई में मेरी बहुत मदद करता है…”
सोनाली आँटी ने रोहन को कहा- “अंदर आ जाओ, तुम चाय पीकर जाना…”
रोहन ने कहा- “नहीं आँटी मुझे देर हो रही है फिर कभी आऊँगा…”
हम सबने लंच किया और फिर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे बदन में बहुत थकावट महसूस हो रही थी। शाम को मैं उठकर फ्रेश होने बाथरूम में चली गई। रात को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं कृष्णा को याद करके अपनी चूत सहला रही थी। मेरी चूत में खुजली हो रही थी। कुछ देर बाद दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैं जल्दी से उठकर छेद से बाहर देखने लगी।
आज आँटी के साथ आज जय नहीं था, कोई दूसरा आदमी था जिसे मैं नहीं पहचानती थी। आँटी ने उसे अंदर आते ही अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगी।
सोनाली- “आकाश आज तुमने मेरी बड़ी ख्वाहिश पूरी कर दी। तुमने जय को इंगलैंड टूर पे भेजकर हमारा रास्ता साफ कर दिया…”
आकाश ने कहा- “मगर तुमने तो कहा था की आज मेरे लिए सरप्राइज है.”
सोनाली- “हाँ सरप्राइज तो है। मगर इतनी जल्दी क्या है?” और वो दोनों कमरे में चले गये।
काश का लण्ड
मैं भी बाहर आकर खिड़की के साइड में खड़ी हो गई, आज खिड़की कुछ ज्यादा ही खुली हुई थी। अंदर जाते ही सोनाली आँटी ने पहले आकाश के पूरे कपड़े निकाल दिए और फिर खुद भी नंगी हो गई। आकाश का लण्ड । देखकर मेरी साँसें रुक गई। उसका लण्ड बहुत मोटा और बड़ा था, कृष्णा के लण्ड से दोगुना। मेरे हाथ अपने आप मेरी सलवार के ऊपर चूत पर चले गये।
आँटी उसके लण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। उसका लण्ड आँटी के दोनों हाथों में मुश्किल से समा रहा था। आँटी ने उसको बेड पर लेटा दिया, उसका लण्ड खंभे की तरह खड़ा था। आँटी उसके लण्ड के मोटे सुपाड़े पे अपनी जीभ निकालकर फिराने लगी। आकाश के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे उतार दिया और अपनी पैंटी को नीचे करके अपनी चूत में उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगी।
आँटी ने आकाश का लण्ड चूसते हुए खिड़की की तरफ देखते हुए मुझे आँख मार दी। मेरे हौसले खता हो गये। आँटी मुझे देख रही थी। आँटी ने अपना मुँह खोलकर आकाश के लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और मुझे देखते हुए उसे लालीपाप की तरह चाटने लगी।
मेरी साँसे ऊपर-नीचे हो रही थी। मैं सोच रही थी की अब क्या होगा?
अचानक आँटी ने उसका लण्ड मुँह से निकाला और अपने दुपट्टे से उसकी आँखें बाँधने लगी।
आकाश चौंकते हुए. “क्या कर रही हो सोनाली डार्लिंग?”
आँटी ने उससे कहा- “तुम चुपचाप सोए रहो और अपनी पट्टी मत खोलना…” और सोनाली आँटी उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी।
मेरी साँसें ऊपर-नीचे होने लगी। आँटी दरवाजा खोलकर मुझे आधा नंगा देखकर मुश्कुराते हुए कहने लगी- “मेरी धन्नो, तुम तो मुझसे भी ज्यादा गर्म हो। आओ मेरे साथ मैं तुम्हें जिंदगी का सबसे ज्यादा मजा दिलाती हूँ…” और मेरी चूत पर एक चुटकी काट दी।
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है? आँटी ने मुझे बेड पर आकाश के साइड में बिठाया और मेरा हाथ पकड़कर उसके लण्ड पर रख दिया। मेरे सारे जिम में सुरसुरी होने लगी। आँटी ने मेरी टाँगों को चौड़ा किया और अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगी।
मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। मैं ‘आअह्ह्ह’ करते हुए झड़ने लगी और मेरे हाथ की पकड़ आकाश के लण्ड पर मजबूत हो गई। सोनाली आँटी मेरी झड़ती हुए चूत का पानी चूसने लगी और अपनी जीभ निकालकर चूत में पेल दी। मेरा झड़ना जब बंद हुआ तो मैंने अपनी आँखें खोली। मेरा हाथ अब भी आकाश के लण्ड पर था। आँटी ने मुझपर नजर डाली और अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी।
मैं फिर से गर्म होने लगी और अपना हाथ आकाश के लण्ड पर ऊपर-नीचे फेरने लगी। आकाश का लण्ड इतना नजदीक से देखकर मेरी साँसें बहुत तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी। आँटी ने उठकर आकाश की आँखों पे बँधे हुए कपड़े को निकाल दिया।
आकाश की आँखें खुलते ही फटी की फटी रह गई। वोह मेरी तरफ गौर से देखने लगा और आँटी से कहा- “यह खूबसूरत परी कौन है?”
आँटी ने कहा- “यह मेरी भांजी धन्नो है और यह मुझे जय के साथ देख चुकी है, और आज हमें भी देख रही थी, यह बहुत ही गरम चीज है। मैंने सोचा इसको भी अपने खेल में शामिल कर लेते हैं…”
आकाश ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा। मेरी चूचियां उसके मजबूत सीने में दबी हुई थी और उसका लण्ड मुझे अपने पेट पर महसूस हो रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं बहुत गर्म हो चुकी थी। मैंने अपनी जीभ निकालकर आकाश के मुँह में डाल दी। आकाश मेरी जीभ चूसते हुए अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा। अचानक आकाश ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और मेरी कमीज निकालकर मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और मुझे बेड पर लिटा दिया। मेरी ब्रा अब भी चूचियों के ऊपर पड़ी थी।
आकाश मेरे ऊपर आया और मेरे होंठों को चूसते हुए अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरे कंधे को चूमने लगा। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और मेरे कान को चूसते हुए अंदर घुमाने लगा, मैं मजे से हवा में उड़ रही थी। मैंने अपना हाथ नीचे लेजाकर उसके लण्ड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
आकाश ने अब और नीचे होते हुए मेरी ब्रा को उठाकर बेड पर रख दिया और मेरी चूचियों को गौर से देखने लगा। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और मेरी एक चूची के गुलाबी दाने पे फिराने लगा। मेरे मुँह से अब सिसकियां निकलने लगी। आकाश ने अपना मुँह खोला और मेरी पूरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसे चाटने लगा। मैंने आकाश के सिर को पकड़ लिया और ‘अहह’ करते हुए अपनी चूची चुसवाने लगी।
आकाश ने मेरी एक चूची को चूस लेने के बाद दूसरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और पहले वाली को हाथों से मसलने लगा। आकाश अब अपना मुँह नीचे ले जाते हुए मेरी नाभि पे आकर रुक गया और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा।
मेरा तो मजे के मारे बुरा हाल था। मेरी साँसें फूल रही थी। आकाश और नीचे होता हुआ अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया मेरे मुँह से ‘आह’ निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी। आकाश ने मेरी गुलाबी चूत के दाने को अपने मुँह में भरकर थोड़ा काट दिया।
मैं उछल पड़ी- “ओईईई.. आह्ह… दर्द हो रहा है…”
आकाश ने मेरे दाने को छोड़कर अपनी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिराने लगा। मैं अपने चूतड़ उछालकर उसकी जीभ को अपनी चूत पर महसूस करने लगी।
आकाश ने अपने हाथ से मेरी चूत के होंठों को अलग किया और अपनी जीभ मेरी चूत के लाल छेद में डाल दी। मजे से मेरे मुँह से आह्ह… ओह्ह…’ की आवाजें निकलने लगी। आकाश अपनी जीभ को घुसा करके पूरा अंदरबाहर कर रहा था। मैं भी अपने चूतड़ उछाल-उछालकर उसकी जीभ अंदर ले रही थी। मेरे सारे बदन में चींटियां रेंगती महसूस हो रही थी।
आकाश अपनी जीभ अंदर-बाहर करते हुए अपने हाथ से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगा। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और ‘अह’ करते हुए मैं दूसरी बार झड़ गई। आकाश ने मेरा सारा पानी चाटकर साफ कर दिया। जब मैंने आँखें खोली तो आकाश बेड पर लेटा हुआ अपना लण्ड सहला रहा था।
आँटी ने मुझसे कहा- “अगर मजा लेना चाहती है तो उठ और इसके लण्ड की सेवा कर…”
मैं उठकर उसके लण्ड के पास बैठ गई और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड पर पड़ते ही मेरी साँसें फिर से तेज होने लगी। अचानक मुझे ना जाने क्या सूझा की मैं अपनी जीभ निकालकर आकाश के लण्ड के सुपाड़े पर फेरने लगी। आकाश के मुँह से ‘आह’ निकल गई। आकाश का लण्ड बहुत गर्म था मुझे उसके लण्ड से अजीब गंध महसूस हो रही थी जो मुझे और मदहोश कर रही थी। मैं अब अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी।
आकाश ने मजे से आँटी को पकड़कर उसकी चूचियों को काटने लगा। आँटी के मुँह से चीखें निकलने लगी ‘ओहह… ओईई…’
मैं जोश में आकर अपने मुँह को खोलकर आकाश का लण्ड अपने मुँह में लेने लगी, मगर उसका लण्ड इतना मोटा था की मेरे पूरा मुँह खोलने पर भी उसका सुपाड़ा ही मुँह में ले सकी। मैं अपने हाथ बढ़ाकर उसके लण्ड को आगे-पीछे करते हुए सहलाने लगी और सुपाड़ा चूसने लगी। मेरा मुँह उसका लण्ड चूसते हुए दुखने लगा। मैं । उसका लण्ड अपने मुँह से निकालकर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी।
सोनाली आँटी ने आकाश से कहा- “तुम्हारा लण्ड इतना मोटा है की इसके मुँह में नहीं आ रहा तो यह इसके चूत की क्या हालत करेगा?”
आकाश ने मेरे बाल पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया और मेरी चूचियों को अपने हाथों से मसलता हुआ मेरे होंठों को चूमने लगा। उसका मोटा लण्ड मुझे अपनी चूत के ऊपर महसूस हो रहा था। कुछ देर तक वो मेरे होंठों को चूसने के बाद मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया और बेड से उतरकर ड्रेसिंग टेबल से एक वैसेलीन उठा लाया। उसने वैसेलीन को अपनी उंगली पे लगाकर उसे मेरी चूत में डाल दिया और उसे दाएं बाएं घुमाते हुए मेरी चूत को चिकना करने लगा। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। उसने अपने लण्ड को भी वैसेलीन से चिकना किया और मेरी टाँगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया और एक तकिया मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिया। मेरी चूत अब बिल्कुल ऊपर उठी हुई थी।
आकाश अपने लण्ड को पकड़कर मेरी चूत पे रगड़ने लगा और उसे मेरी चूत पर किसी इंडे की तरह मारने लगा। मजे और डर की लहर मेरे सारे शरीर में दौड़ रही थी। मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और उसमें से पानी। की कुछ बूंदे निकल रही थीं। आकाश ने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर रखते हुए अपने पूरे वजन और ताकत के साथ मुझपर दबाव दिया। उसके लण्ड का टोपा मेरी चूत की दोनों दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया।
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकल गई- “ओईईई.. ओहह… तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है मेरी चूत फट जाएगी… मैं इसे पूरा नहीं झेल पाऊँगी प्लीज… इसे निकालो…” कहकर मैं झटपटाने लगी। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत की दोनों दीवारों को किसी ने पकड़कर आपस में से अलग कर दिया हो।
आकाश वैसे ही अपना वजन मुझपर रखे पड़ा रहा। सोनाली आँटी मेरे पास आई और मुझे किस करने लगी। मैं अपना दर्द भुलाकर फिर से गरम होने लगी। आकाश मुझे रिलैक्स होते हुए देखकर अपना दबाव बढ़ाते हुए अपना लण्ड अंदर करने की कोशिश करने लगा। मेरी चूत सिर्फ एक बार चुदी थी वो भी कृष्णा के छोटे लण्ड से, इसीलिए वो अभी तक कसी हुई थी। आकाश ने अपने लण्ड के टोपे को थोड़ा बाहर करते हुए एक जोर का धक्का लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ आधा अंदर घुस गया।
मेरी तो सारी जान ही निकल गई। मेरे मुँह से जोर की चीखें निकलने लगी- “ओईई माँ… ओहह. मर गई.. बचाओ…” मैं ऐसे तड़पने लगी जैसे मछली पानी के बाहर तड़पती है।
मैं आकाश को अपने ऊपर से उठाने की कोशिश करने लगी, मगर वो हट्टा-कट्टा मर्द था। मेरी ताकत उसके सामने पानी भरने लगी। आकाश अपना आधा लण्ड अंदर किए ही मेरे ऊपर आ गया। मेरी चूचियों को अपने मुँह में ले लिया और उन्हें चूसने लगा।
कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हो गया, और मैंने छटपटाना बंद कर दिया। मुझे अपनी चूत में दर्द की जगह मीठे मजे का अहसास होने लगा और मैं अपने चूतड़ उछाल-उछालकर आकाश के लण्ड पर दबाने लगी। आकाश समझ गया की मेरा दर्द खतम हो गया है। वो उठकर अपने आधे लण्ड से ही हल्के धक्के लगाने लगा।
मैंने मजे से अब सिसकना शुरू कर दिया- “आहह… इस्स्स्स
…”
आकाश अपने लण्ड को पूरा टोपे तक बाहर खींचकर धक्के लगाने लगा। मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे सारे बदन की ताकत मेरी चूत के पास जमा हो गई। आकाश ने अपना लण्ड जैसे ही अंदर करके बाहर खींचा उसके लण्ड के साथ मेरी चूत का पानी भी बाहर आ गया और मैं मजे से ‘ओफफ्फ़… आह्ह्ह…’ करते हुए झड़ने लगी। मेरी आँखें बंद हो गई और मैं अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा मजा महसूस करने लगी। आकाश ने मुझे झड़ता हुआ देखकर अपने धक्के तेज कर दिये।
जब मुझे होश आया तो आकाश वैसे ही धक्के लगा रहा था मेरी चूत गीली होने के कारण अब उसका लण्ड आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। आकाश ने मौका देखकर अपना पूरा लण्ड खींचकर जोर के धक्के लगाने लगा और हर धक्के के साथ उसका लण्ड मेरी चूत को फैलाता हुआ और अंदर होने लगा। मेरे मुँह से उसके हर धक्के के साथ ‘ओईए… ओहह..’ की हल्की चीखें निकलने लगती। अचानक आकाश ने अपना लण्ड बाहर खींचकर एक बहुत जोर का धक्का मारा।
उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया और उसकी गोटियां मेरी गाण्ड पर महसूस होने लगी। मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकल गई ओईई। मेरी चूत में फिर दर्द होने लगा और मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था की जैसे किसी ने मेरी चूत में बहुत बड़ा चाकू घुसा दिया हो और वो मेरी चूत से होता हुआ मेरे पेट में घुस गया हो।
सोनाली आँटी अपना हाथ बढ़ाकर मेरी चूचियों को सहलाने लगी।
कुछ देर बाद मुझे कुछ सुकून मिला और मेरा दर्द कम हो गया। मुझे आकाश का लण्ड मेरी चूत की गहराइयों तक महसूस हो रहा था। मुझे अपनी चूत गहराइयों तक फैली हुई महसूस हो रही ही। अब मेरा दर्द बिल्कुल गायब हो गया और मैंने अपने चूतड़ उछालने शुरू कर दिये।
आकाश ने अब धक्के लगाने शुरू कर दिये। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकलने लगी और मेरी साँसे फूलने लगी। आकाश अपना पूरा लण्ड बाहर खींचकर अंदर कर रहा था। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। मुझे उसका लण्ड अपने पेट तक महसूस हो रहा था।
मैं मजे से अपने चूतड़ उछालते हुए बड़बड़ाने लगी- “अहह… हाँ ऐसे ही मुझे चोदते रहो… मुझे बहुत मजा आ रहा है, तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा और मोटा है मेरी चूत को फाड़ दो…”
आकाश मेरी बातें सुनकर दंग रह गया और अपना पूरा लण्ड बाहर खींचकर अंदर तक घुसाने लगा और कहने लगा- “धन्नो सच में तुम बहुत गर्म हो। तुम सोनाली से भी बड़ी छिनाल बनेगी…”
आकाश इतनी जोर से धक्के लगा रहा था की उसके हर धक्के के साथ मैं पूरी कॉप जाती। मेरे मुँह से अब भी अनाप-शनाप निकल रहा था- “आकाश मैं तुम्हारे लण्ड की गुलाम हो गई। मैं सारी उमर तुम्हारी रंडी बनकर रहूँगी और मैं अह… इस्स्स्स ..” के साथ दूसरी बार झड़ने लगी।
मैंने आगे से फिर से अपनी आँखें बंद कर ली। आकाश कुछ देर तक मुझे धक्के लगाता रहा। जब मैंने अपनी आँखें खोली तो आकाश मेरे ऊपर आते हुए मेरे होंठों को चूमने लगा। मैंने शरारत से उसका एक होंठ काट दिया। आकाश ने अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरी एक चूची को मुँह में भरकर उसके गुलाबी निपल को जोर से काट
दिया।
मैं सिसकी- “अहह… बदमाश क्या कर रहो हो?”
आकाश मेरी निपलों को छोड़कर मेरी चूचियों को ऊपर से काटने लगा। मेरी गोरी-गोरी चूचियां उसके दाँतों के निशान से लाल हो गई। आकाश मेरे ऊपर से उठा और मुझे उल्टा लेटा दिया।
आँटी इतनी देर से हमारी चुदाई देखकर बहुत गरम हो गई थी। उसने अपनी चूत मेरे मुँह के पास कर दी और मेरे बालों को पकड़कर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया। मुझे आँटी की चूत में से अजीब गंध आ रही थी। मैं अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत को चाटने लगी।
आकाश ने पीछे से अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ा और उसे चूत पर रखकर एक धक्का मार दिया।
मेरी चूत मेरे पानी से चिकनी थी, उसका लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से- “ओह्ह… अहह…” निकल गई और मैंने मजे से अपनी जीभ आँटी की चूत में डाल दी।
आकाश अब मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़कर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा। मैं स्वर्ग की सैर करने लगी और अपने चूतड़ पीछे धकेलते हुए अपनी जीभ से सोनाली आँटी की चूत को चोदने लगी। आकाश ने मेरे चूतड़ों को छोड़कर हर धक्के के साथ हिलती हुई मेरी चूचियों को पकड़ लिया और अपने हाथों से मसलते हुए धक्के लगाने लगा।
अचानक आकाश ने धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज कर दी और बड़बड़ाते हुए कहा- “मेरी छिनाल धन्नो… मैं झड़ने वाला हूँ…” और वो अपना लण्ड को तेजी के साथ अंदर-बाहर करते हुए ‘अहह’ के साथ झड़ने लगा।
… करते हुए झड़ने
मुझे अपनी चूत में पानी की पिचकारियां गिरती महसूस हुई और मैं भी आह्ह्ह… इस्स्स्स लगी।
आँटी भी ‘ओहह’ करते हुए मेरे मुँह में झड़ने लगी, उसकी चूत का पानी नमकीन था, मैं उसे गटक गई। आकाश के लण्ड से बहुत सारा पानी निकलकर मेरी चूत को भर रहा था। कुछ देर बाद आकाश ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और बेड पर ढेर हो गया। मैं भी सीधी होकर लेट गई। मेरी चूत से आकाश का पानी निकलकर बेडशीट पर गिरने लगा।
मैंने देखा की बेडशीट पर उसके वीर्य के साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था। आकाश का लण्ड अब भी पूरी तरह ढीला नहीं हुआ था। उसके लण्ड पर वीर्य लगा हुआ था और उसका सुपाड़ा लाल टमाटर की तरह चमक रहा था। मैं अपने आपको रोक नहीं पाई और उसके लण्ड पे लगा हुआ वीर्य अपनी जीभ निकालकर चाटने लगी। उसके वीर्य का स्वाद अजीब था, मगर उसकी गंध मुझे फिर से मदहोश करने लगी। मैंने उसके पूरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटकर साफ कर दिया।
सोनाली आँटी हमारा खेल देखकर बहुत गरम हो चुकी थी, उसने मुझे आकाश से परे धकेलते हुए उसे बेड पर लेटा दिया और खुद उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चाटने लगी। कुछ देर में ही आकाश का लण्ड फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया। आँटी अपनी दोनों टाँगें फैलाकर उसके लण्ड पर बैठ गई। आकाश का पूरा लण्ड आँटी की चूत में घुस गया, आँटी की चूत में लण्ड घुसते ही उसके मुँह से ‘अहह’ मजे की एक सिसकी निकल गई। अब आँटी खुद अपने चूतड़ उठा-उठाकर आकाश के लण्ड से चुदने लगी। आँटी के लण्ड पर ऊपर-नीचे होने से उसकी दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर-नीचे होने लगी।
आकाश आँटी की दोनों चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा।
आँटी अब बहुत जोर से धक्के लगाते हुए बड़बड़ा रही थी- “आकाश तुम्हारा लण्ड सच में मुझे जन्नत की सैर कराता है। ओहह… अहह… मैं झड़ने वाली हूँ…” और उसकी साँसें फूलने लगी और वो हाँफते हुए झड़ने लगी। आकाश उसे झड़ता हुआ देखकर नीचे से धक्के लगाने लगा। आँटी कुछ देर तक झड़ती रही और फिर आकाश के ऊपर ढेर हो गई।
आकाश ने उसे अपने ऊपर से उठाकर साइड में लेटा दिया और मुझे अपने ऊपर खींचकर चूमने लगा। मैं पहले ही बहुत गर्म हो चुकी थी। मैंने आकाश के होंठों को काटते हुए अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर अपने चूतड़ उसके लण्ड पर रख दिए। आकाश ने अपने हाथ से लण्ड को मेरी चूत पर सेट किया, मैंने अपना पूरा वजन उसके लण्ड पर रख दिया। उसका आधा लण्ड मेरी गीली चूत में घुस गया। मेरे मुँह से मजे की एक इस्स्स्स निकली और मैंने अपने चूतड़ थोड़ा उठाकर धप्प के साथ उसके लण्ड पर बैठ गई।
आकाश का पूरा लण्ड मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया। मेरे मुँह से मजे और दर्द की वजह से हल्की चीख निकल गई ‘ओह्ह… और मैं अपने चूतड़ उठा-उठाकर आकाश के लण्ड पे ऊपर-नीचे होने लगी। आकाश भी नीचे से धक्के लगाने लगा। मेरी साँसें फूलने लगी, मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी। मैं अब अपने चूतड़ बहुत ऊपर लण्ड के टोपे तक उठाकर फिर से नीचे कर रही थी।
मेरे सारे बदन से पशीना बह रहा था और मेरी आँखें मजे से बंद हो गई थी। मैंने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था की चुदाई में इतना मजा भी आता है। मैं अपनी चुदाई की चरम सीमा पर पहुँच गई और काँपते हुए ‘अह्ह… ओहह..’ करते हुए झड़ने लगी। कुछ देर तक झड़ने के बाद मैं आकाश के ऊपर ढेर हो गई।
आकाश ने मुझे चूमते हुए अपने साइड में सुला दिया और सोनाली को पकड़कर उल्टा कर दिया और उसकी चूत में लण्ड घुसा दिया। आकाश कुछ देर तक सोनाली आँटी की चूत मारने के बाद अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक । लगाकर आँटी की गाण्ड पर रख दिया और इससे पहले की आँटी कुछ समझ पाती आकाश का आधा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ अंदर घुस गया।
आँटी के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई… मर गई अचानक ही घुसा दिया..”
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मैं सोच रही थी आकाश का इतना मोटा और बड़ा लण्ड इसकी गाण्ड में कैसे घुस गया। आकाश कुछ देर तक आधे लण्ड से धक्के लगता रहा और अचानक उसने अपना लण्ड पीछे खींचकर पूरा अंदर कर दिया।
आँटी के मुँह से चीख निकल गई- “ओहह… फट गई…”
मगर आकाश झड़ने के बिल्कुल करीब था, वो आँटी की चीखों की परवाह ना करते हुए जोर से उसकी गाण्ड मारने लगा और हाँफता हुआ उसकी गाण्ड में झड़ गया, और झड़ने के बाद बेड पर ढेर हो गया। कुछ देर बाद आकाश वहाँ से चला गया।
आँटी दरवाजा बंद करने के बाद मेरे पास आई और मुझे चूमते हुए कहा- “धन्नो तुम तो बिल्कुल छुपी रुस्तम निकली, अपनी आँटी को छुपकर चुदते हुए देखती रही। मैंने तुम्हें उसी दिन खिड़की के पास देख लिया था मगर तुम्हें कह नहीं पाई और तुम सबके खाने में नीद की दवा मिलाने लगी। मगर कल मैं तुम्हें चलते हुआ देखकर समझ गई की तुमने अपना कुँवारापन गॅवा दिया है। इसीलिए आज मैंने खाने में दवा नहीं मिलाई और बिंदिया और करुणा के दूध में दवा मिला दी, और तुम्हें मैंने जानबूझ कर हमारा खेल देखने का मौका दिया। मैं चाहती थी की तुम भी मेरी तरह अपनी जवानी का पूरा मजा लो। वैसे तुमने किसके साथ अपनी पहली चुदाई की?”
मैं बुत बनकर अब तक उसकी बातें सुन रही थी।
मैंने अपना मुँह खोलते हुए बताया- “वो मेरे कालेज में पढ़ता है, उसका नाम कृष्णा है मगर उसका लण्ड आकाश जितना बड़ा नहीं है, मुझे खास मजा नहीं आया था…”
आँटी ने हँसते हुए कहा- “ऐसे लण्ड सभी के नहीं होते, जैसा आकाश का है। खुशनशीब औरतों को ही ऐसा लण्ड मिलता है। तुम दोनों उस दिन जिस लड़के के साथ आई थी जिसका नाम रोहन है उसका क्या चक्कर है?”
मैंने आँटी को बता दिया- “रोहन बिंदिया से प्यार करता है और वो बहुत ही शरीफ और सुलझा हुआ लड़का है। बिंदिया भी उसे पसंद करती है…”
आँटी ने मेरी बात सुनने के बाद कहा- “दिखने में भी वो स्मार्ट है चलो दोनों की शादी करवा देंगे…”
मैंने आँटी से कहा- “मुझे नींद आ रही है मैं अपने कमरे में जाऊँ?”
आँटी ने मुश्कुराते हुए मेरे होंठों पे एक किस कर दी और मुझे गुडनाइट कहा। मैं अपने कमरे में आकर सो गई। दूसरे दिन सनडे था मैं बहुत देर तक सोती रही। जब मैं उठी और फ्रेश होकर अपने कमरे से निकली तो मैं हैरान रह गई। रोहन वहाँ बैठा हुआ चाय पी रहा था।
दोस्तो १० – १५ लोगों से ज़्यादा कोई कमेंट नहीं देता इसका मतलब तीन चार लोगो को छोड़कर जो दोस्त ये कहानियाँ पोस्ट करते हैं वही एक दूसरे की पीठ थपथपा लेते हैं
मैने पहले भी कई बार रिक्वेस्ट की है और कल एक बार फिर से आप सभी पढ़ने वाले और इस साइट के चाहने वालों से प्रार्थना की थी कि आप सब कहानी पोस्ट करने वालों की सराहना करें ताकि वो आपके लिए और भी अच्छी अच्छी कहानियाँ लाए जिससे आपका और ज़्यादा मनोरंजन हो .
दोस्तो कल से मैं किसी भी कहानी में पोस्ट नही करूँगा सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लेखक बंधुओं की हॉंसलाहफजाई करूँगा ताकि उनके काम की सराहना करने वालों मे एक श्रोता की बढ़ोत्तरी हो . और जब तक कुछ और लोग कमेंट करने के लिए आगे नही आते तब तक मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ कहानियों पर कमेंट करूँगा